देहरादून। उत्तराखंड रोडवेज की बसों में फास्टटैग न लगने के कारण रोजाना नॉर्मल से ज्यादा टोल चुकाना पड़ रहा है। बसों को टोल टैक्स के लिए लम्बी कतारों में लगना पड़ रहा है। इससे समय की भी ज्यादा खपत हो रही है।

जरूरी है फास्टटैग

नेशनल हाइवे अथॉरिटी की ओर से सभी प्राइवेट और कॉमर्शियल व्हीकल में फास्टटैग जरूरी कर दिया है। किसी भी गाड़ी में अगर फास्टटैग नहीं है तो उसे ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ रहा है। प्राइवेट वाहनों के लिए यह दोगुना और कॉमर्शियल व्हीकल में कुछ परसेंट बढ़ाया गया है। इससे रोडवेज की बसों को भी ज्यादा टैक्स देना पड़ रहा है।

15 जनवरी से हुआ लागू

सभी व्हीकल्स में फास्टटैग लागू हो गया है। इससे पहले 15 दिसम्बर को फास्टटैग अनिवार्य करने के लिए नोटिस दिया गया था। इसके बाद भी कई गाडि़यों में फास्टटैग नहीं लगे हैं। इन्हें ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ रहा है।

टोल प्लाजा पर अलग काउंटर

बस ड्राइवर्स का कहना है कि ज्यादातर टोल प्लाजा में चार फास्टटैग स्कैन, दो पेटीएम और एक नकद काउंटर बनाये गये हैं। जिन गाडि़यों में फास्टटैग लगा है, उन्हें स्कैन करने के बाद रवाना किया जा रहा है, पेटीएम वाले काउंटर पर भी ज्यादा भीड़ नहीं है, लेकिन कैश देने वाली गाडि़यों को लंबी लाइन में लगानी पड़ रही है।

दिल्ली के लिए ज्यादा टोल

देहरादून से दिल्ली के लिए रोजाना 200 बसें चलती हैं। दौराला में 320 रुपये और एमसीडी दिल्ली में 500 रुपये की पर्ची कटती है। लेकिन फास्टैग न होने से दौराला में 100 रुपये और एमसीडी दिल्ली में 120 रुपये एक्ट्रा देने पड़ रहे हैं।

हल्द्वानी से दिल्ली तक तीन टोल

हल्द्वानी से दिल्ली जाने के लिए 47 बसें संचालित होती हैं। टोल टैक्स में इन्हें फास्टैग न होने के कारण 4 घंटे का समय अधिक लग रहा है। इस रूट पर फास्टैग न होने से जोया टोल में 195 के बजाय 260, गढ़चौफला में 290 के बजाय 390 और गाजियाबाद में 625 के बजाय 930 रुपये देने पड़ रहे हैं।

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हमारी ओर से सभी बसों में मंडे से फास्टैग लग जाएंगे। इसके बाद टाइम और पैसे की बचत होगी।

दीपक जैन, जीएम टेक्निकल