- हेपेटाइटिस के 10 परसेंट मरीजों में बीमारी का कारण मोटापा

- मोटापा नियंत्रित कर ही बच सकती है जान

- विश्व हेपेटाइटिस दिवस आज

LUCKNOW: ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और अन्य बीमारियों के साथ ही अब मोटापे के कारण हेपेटाइटिस की भी बीमारी भी सामने आ रही है। केजीएमयू के डॉक्टर्स की ओर से मोटापे से पीडि़त लोगों पर किए गए एक शोध में यह निष्कर्ष निकलकर सामने आया।

इन वजहों से खराब होता है लिवर

केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के डॉ। डी हिमांशु ने बताया कि लिवर के खराब होने की समस्या हेपेटाइटिस ए, बी, सी या ई वायरसों के कारण या फिर एल्कोहाल लेने से होती है, लेकिन 10 से 15 परसेंट मरीज ऐसे भी होते हैं, जिनमें न तो किसी वायरस का संक्रमण होता है न ही वे एल्कोहाल लेते हैं। जांच में सामने आया कि यह सभी मोटापे की समस्या से जूझ रहे थे। ऐसे में उन्हें फैटी लिवर की समस्या हो गई थी।

बढ़ी है ऐसे मरीजों की संख्या

डॉ। डी हिमांशु के मुताबिक, इस बीमारी को 'नान एल्कोहॉलिक स्टेटो हेपेटाइटिस' कहते हैं। इधर के कुछ सालों में मोटापा की समस्या बढ़ने से ऐसे मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। मोटापे को कम करके इन मरीजों को बीमारी से निजात दिलाई जा सकती है। अगर वेट कम न किया तो लिवर फेल होने के कारण मौत हो सकती है।

हेपेटाइटिस के लक्षण

पीलिया होना, पेट और पैरों में सूजन, आंखे और पेशाब का पीला होना, खून की उल्टियां होना, भूख कम लगना या उल्टियां होना, बुखार आना हेपेटाइटिस के मुख्य लक्षण हैं। ऐसा होने पर तुरंत जांच कराएं और डॉक्टर को दिखाएं।

टीकाकरण कराएं

डॉक्टर्स के अनुसार, हेपेटाइटिस ए व बी के लिए टीका मौजूद है, जिसे लगवाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। इसके अलावा यह वायरस संक्रमित ब्लड चढ़ाने, सीमेन व अन्य बॉडी फ्ल्यूड्स के साथ फैल सकता है। इसलिए सावधानी बनाए रखें। हेपेटाइटिस ए गंदे पानी की वजह से होता है।

उपलब्ध हैं अच्छी दवाएं

डॉक्टर्स की मानें तो सबसे अधिक संक्रमण हेपेटाइटिस-बी और हेपेटाइटिस-सी का होता है। हेपेटाटिस बी व सी में ज्यादातर मरीज तब अस्पताल पहुंचते हैं, जब लिवर काफी डैमेज हो चुका होता है। बी का बचाव टीके से हो सकता है लेकिन सी का टीका ही उपलब्ध नहीं है। लेकिन अब हेपेटाइटिस-सी की अच्छी दवाएं उपलब्ध हैं। पहले जो इलाज साल भर चलता था और हर हफ्ते महंगे इंजेक्शन लगते थे, वह इलाज अब 12 हफ्ते ही में टेबलेट खाने से ठीक हो जाता है।

महिलाओं में खतरा अधिक

डॉक्टर्स के अनुसार, प्रेगनेंट महिलाओं में भी हेपेटाइटिस के कारण खतरा बढ़ रहा है। प्रेगनेंट महिलाओं में 15-20 परसेंट डेथ रेट है यानी बीमारी होने के 6 माह में या तो बीमारी अपने आप ठीक हो जाती है या फिर मरीज की मौत हो जाती है यानी खतरा बहुत ज्यादा है। महिलाओं में खतरा इतना अधिक है कि पिछले 6 माह में ही 400 से ज्यादा मरीज पॉजिटिव रिपोर्ट के साथ इलाज के लिए आए। यदि समय पर इनको इलाज मिल जाए तो इन्हें भी बचाया जा सकता है।