ऐसा हुआ लक्ष्मी के साथ

दरअसल लक्ष्मी नाम की इस हथनी के पीछे के पैरों में चोट लगी थी। इस चोट के कारण इसको 30 मीटर चलने में करीब 15 मिनट का वक्त लगता था। इसके पैरों को दिखाने के लिए उसे राजापलायम के एनिमल केयर ट्रस्ट सेंटर लाया गया। बता दें कि ये हथनी पलानी में रहती थी। इलाज के लिए इसे वहां से यहां लाया गया था। 57 साल की लक्ष्मी का इलाज करने वाले पशु चिकित्सक पी रामचंद्रन बताते हैं कि 2.7 टन वजन वाली लक्ष्मी के पैरों में चोट लगी है। इस चोट की वजह से उसको चलने में बहुत तकलीफ होती थी।

रोज होता है इलाज

उन्होंने बताया कि उसका वजन पहले 2.4 टन था। उसके बाद 5 महीने उसका इलाज चला। इस ट्रीटमेंट के बाद उसका वजन 2.7 टन हो गया। उसके इलाज के बारे में डॉक्टर रामचंद्रन कहते हैं कि रोज सुबह वह लक्ष्मी के पैरों के घावों को धोते हैं। उसके बाद उसपर मरहम भी लगाते हैं। इसके बाद उसके घाव को पट्टी से कवर कर देते हैं। पट्टी बांधने के बाद उसको जूते पहना दिए जाते हैं।

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हर आठ घंटे में उतरते हैं जूते

हर आठ घंटे के बाद इसके पैरों से जूते उतारे जाते हैं। इसको जूते पहनाने के पीछे कारण बताया गया हे कि उसकी दवा देर तक उसके घाव पर लगी रहे। इसको ध्यान में रखकर उसे जूते पहना दिए जाते हैं। ऐसा न किया गया तो उसका घाव जल्दी नहीं भर पाएगा। उन्होंने बताया कि लक्ष्मी का इलाज बीते एक साल से चल रहा हे। तभी तो अब वो बहुत कुछ आराम से चलने भी लगी है।

इन्होंने निकाला आइडिया

लक्ष्मी को जूते पहनाने का आइडिया किसने निकाला। बताते हैं कि ये आइडिया एनिमल केयर ट्रस्ट के फाउंडर एसडी सेल्वरम राजा का था। उन्होंने बताया कि उसके लिए इसको डिजाइन करने में करीब एक महीने का समय लगा। सबसे पहले उसके लिए अलग-अलग तरह के तीन जोड़ी जूते लाए गए। इनमें से किसी एक को चुनना था। खास उसके वजन को ध्यान में रखकर बनाए गए इन जूतों का तलवा हार्ड रबड़ का बना हुआ है। ताकि वो इसके वजन को झेल सके। आप सुनकर चौंक जाएंगे कि इसके एक जोड़ी जूते का वजन 5 किलो है। इसको बनाने के लिए इसमें खास नायलॉन और कैनवास का भी इस्तेमाल किया गया है।

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