-बने हैं 8 हजार से अधिक अपार्टमेंट, मात्र 71 के पास फायर एनओसी

PATNA : शहर में हाई राइज बिल्डिंग की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बडे़-बड़े अपार्टमेंट में हर तरह की सुविधाओं से लैस फ्लैट बनाए जा रहे हैं लेकिन फायर सेफ्टी का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। दिल्ली में हुए भीषण अग्निकांड के बाद पटना की बिल्डिंग में फायर सेफ्टी की व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। आग की घटना हुई तो शहर की इमारतें कितनी सेफ हैं, इसे लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब पड़ताल किया तो पता चला कि अधिकांश अपार्टमेंट में आग बुझाने के उपकरण ही नहीं हैं। साथ ही जहां फायर सेफ्टी सिस्टम है वहां पर लोगों को इसे चलाने ही नहीं आता है। हालात ये है कि पटना में करीब 8 हजार अपार्टमेंट हैं। जबकि महज 71 अपार्टमेंट का ही फायर एनओसी लिया गया है।

स्मोक प्रेशराइज रहता है खराब

मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में इमरजेंसी निकास जरूरी है। अधिकतर इमारतों में तो निकास मार्ग होते हैं लेकिन वहां सामान रख दिए जाते हैं। बहुमंजिला इमारतों में सीढि़यों और अन्य स्थानों पर स्मोक प्रेशराइज सिस्टम होता भी खराब होते हैं। यहां लगे हौज पाइप भी खराब रहते हैं। आग लगने की घटना के बाद हौज पाइप को दमकल से जोड़ा जाता है। यही हाल फायर इस्टींग्यूशर के भी हैं। राजधानी में पाटलिपुत्र, कंकड़बाग, राजीव नगर, शास्त्री नगर सहित अन्य क्षेत्रों में अधिकतर अपार्टमेंट में फायर इस्टींग्यूशर बेकार पड़े हैं।

नहीं है फायर सेफ्टी का इंतजाम

पत्रकार नगर, कंकड़बाग सहित अन्य क्षेत्र में भारी संख्या में चार मंजिला अपार्टमेंट हैं। यहां न लिफ्ट, ना फायर एस्केप और ना ही किसी फ्लोर पर फायर एक्सटिंग्यूशर हैं। ऐसे में अगर यहां कभी आग लगने की घटना होती है तो उसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा। ये महज एक उदाहरण है। शहर में ऐसे अपार्टमेंट्स की बड़ी तादाद है। बड़े-बड़े अपार्टमेंट तो बनाए गए है पर यहां फायर सेफ्टी को कोई इंतजाम नही है।

आग और पार्किंग तक बेच देते

बिल्डर्स एक अपार्टमेंट से करोड़ों रुपए कमाते हैं। वे मोटी रकम कमाने के लालच में छत और पार्किंग तक को बेच देते हैं। इसके बावजूदं बिल्डिंग में आग से बचने का इंतजाम भी नहीं करते हैं। वे अपार्टमेंट में बमुश्किल खाली जमीन छोड़ते हैं। जबकि नियम के तहत उनको अपार्टमेंट में चारों ओर सेटबैक एरिया छोड़ना चाहिए। गलियों में बने अपार्टमेंट का तो और भी बुरा हाल है। वहां पर तो फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी नहीं पहुंच सकती है।

8 हजार बिल्डिंग हैं असुरक्षित

राजधानी में 8 हजार अपार्टमेंट, होटल और कमर्शियल बिल्डिंग के मालिक फायर ब्रिगेड के नियमों का पालन नहीं कर रहे। इसका पालन कराने में फायर कंट्रोल डिपार्टमेंट की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। विभाग ने पिछले 4 सालों में 10 हजार से अधिक अपार्टमेंट और होटल मालिकों को नोटिस जारी किया लेकिन इसे लागू करवाने के लिए मौके का निरीक्षण नहीं किया गया।

नहीं की जाती है जांच

फायर ब्रिगेड की ओर से जारी निर्देशों में बताया गया है कि शहर के सभी अपार्टमेंट, होटल और कमर्शियल बिल्डिंग के मालिकों को हर साल एनओसी लेना पड़ता है। एनओसी लेने के लिए पहले आवेदन देना होता है फिर फायर ब्रिगेड के एक्सपर्ट मौके पर जाकर जांच करते हैं। आग से सुरक्षा के सभी मानक पूरा पाए जाने पर ही एनओसी जारी किया जाता है। सूत्रों ने बताया कि अग्नि सुरक्षा मानकों की जांच करने से फायर ब्रिगेड के अधिकारी डरते हैं। शहर के अधिकांश होटल, मॉल और अपार्टमेंट के मालिक या तो ऊंची पहुंचे वाले वाले होते है या दबंग।

जरूरी है नॉर्मस फॉलो करना

नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार बिल्डिंग्स में फायर सेफ्टी के लिए फायर एक्टिंग्यूशर, हॉल रील, ऑटोमेटिक स्प्रिंक्लर सिस्टम, फायर अलार्म सिस्टम, अंडरग्राउंड वाटर स्टोरेज टैंक, टैरेस टैंक जैसे इंतजाम होने चाहिए। जिस आर्किटेक्ट ने ऐसे बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का प्लान अप्रूव किया है उसके खिलाफ भी एक्शन लेने का प्रावधान है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है।