मांडरेकर ने नाइजीरियाई नागरिकों को कैंसर बताया था.
उन्होंने इस पर माफ़ी मांगते हुए कहा, "मेरे बयान में ‘कैंसर’ शब्द का इस्तेमाल ग़लत था. मैं माफ़ी मांगता हूं. मैं किसी की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहता था. हमें पूरे नाइजीरियाई समुदाय को दोष नहीं देना चाहिए, हंगामा 50-100 लोगों ने किया था."
इस बीच नाइजीरिया के उच्यायुक्त डूबीसी वाइटस अमाकू ने बीबीसी हिंदी से बात करते हुए कहा कि गोवा सरकार के रवैये से वहां रह रहे नाइजीरियाई लोग आहत हैं और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
गोवा सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ''एक नाइजीरियाई की हत्या के बाद तेज़ी से जांच करने की जगह, गोवा सरकार का ये कहना कि नाइजीरिया के जो भी लोग राज्य में ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से रहे हैं, उन्हें वापस भेज दिया जाएगा, इस बात ने घाव पर नमक छिड़कने जैसा काम किया है.''
क्या है विवाद?
गोवा में हर साल लाखों सैलानी आते हैं.
ये पूरा विवाद पिछले हफ़्ते शुरू हुआ था. गोवा में पिछले हफ़्ते चाकू से किए गए हमले के दौरान एक नाइजीरियाई की मौत हो गई थी और पांच अन्य घायल हो गए थे.
हत्या के तुरंत बाद क़रीब 200 नाइजीरियाई मूल के लोगों ने गोवा के मुख्य हाइवे को कई घंटो तक बंद कर दिया था.
पुलिस ने इस हत्या के पीछे स्थानीय लोगों और नाइजीरियाई मादक पदार्थो के तस्करों के आपसी झगड़े को कारण बताया.
इस घटना के बाद गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पारिकर ने पुलिस को आदेश दिया था कि उन सभी विदेशियों को पकड़कर वापस उनके देश भेजा जाए जो ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से गोवा में रह रहे हैं.
इस बीच गोवा पुलिस ने नाइजीरियाई युवक की हत्या के मामले में एक गिरफ्तारी की है.
इससे पहले एक अन्य नाइजीरियाई राजनयिक ने चेतावनी दी थी कि अगर भारत में रह रहे नाइजीरियाई नागरिकों को गोवा से भगाना बंद नहीं किया गया और हत्यारों को नहीं पकड़ा गया तो नाइजीरिया में रह रहे भारतीयों को इसके नतीजे भुगतने होंगे.
इस समय आठ लाख से अधिक भारतीय नाइजीरिया में रहते हैं और वे वहां लगभग एक लाख व्यवसायों के मालिक हैं.
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