लीडर ऑफ अपोजीशन है जरूरी
मोदी सरकार ने लीडर ऑफ अपोजीशन के बिना ही देश के महत्वपूर्ण संवैधानिक नियुक्तियां करने का फैसला कर लिया है. देश के कई अहम पदों का चुनाव विपक्ष के नेत के बिना संभव नहीं है. लेकिन सरकार ने विजिलेंस कमिशन, ह्यूमन राइट्स कमिशन और लोकपाल जैसी संस्थाओं के प्रमुखों का चुनाव विपक्ष के बिना करने का फैसला कर चुकी है. इन पोस्ट्स का सेलेक्शन करने वाली कमेटी में लोकसभा में लीडर ऑफ अपोजीशन का होना जरूरी होता है.
अभी तक कोई नहीं बना नेता विपक्ष!
इस समिति में प्राइम मिनिस्टर, होम मिनिस्टर और लीडर ऑफ अपोजीशन होंगे. लेकिन ऐक्ट में यह भी प्रोवीजन है कि लीडर ऑफ अपोजीशन न होने पर सेलेक्शन कमेटी में लोकसभा के सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को शामिल किया जा सकता है.सरकार ने फिलहाल चीफ इन्फॉर्मेशन कमिश्नर के अप्वाइंटमेंट को रोक रखा है क्योंकि लीडर ऑफ अपोजीशन नहीं है. इस वजह से पहली बार ऐसा हुआ है कि 2005 में अपनी स्थापन के बाद से इन्फॉर्मेशन कमीशन का कोई हेड नहीं है.
Hindi News from India News Desk
National News inextlive from India News Desk