- मेडिकल यूनिवर्सिटी का सपना टूटा, अब आरएमएल की तर्ज पर ही इंस्टीट्यूट का स्टेटस पाने की चाहत

- प्रस्ताव तैयार करने को कमेटी गठित, जीएसवीएम के पूर्व छात्र और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से भी मांगेगे मदद

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KANPUR: यूपी के सबसे पुराने और सबसे बड़े गवर्नमेंट कॉलेज को यूनिवर्सिटी बनाने का सपना टूट चुका है, लेकिन अब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में सुविधाएं बढ़ाने और स्वायत्तता पाने के लिए उसे राममनोहर लोहिया जैसे इंस्टीटयूट की तर्ज पर विकसित करने को लेकर प्रयास शुरू किए गए हैं.

'गणेशियन' बनवाएंगे इंस्टीट्यूट

आने वाले दिनों में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को इंस्टीटयूट का दर्जा दिलाने में एक पूर्व गणेशियन की भूमिका अहम रहेगी. यह गणेशियन कोई और नहीं बल्कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन हैं. जिन्होंने जीएसवीएम से ही एमबीबीएस और फिर एमएस इन ईएनटी किया. पिछली मोदी सरकार की शुरुआत में भी उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था. इसी दौरान उनकी मदद से मेडिकल कॉलेज में 200 करोड़ की लागत से सुपरस्पेशिएलिटी काम्प्लेक्स बनाने का काम शुरू हुआ. अब दोबारा केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उनके मेडिकल कॉलेज के हालात बदलने की प्रबल संभावना है. कॉलेज के अपग्रेडेशन के साथ ही मध्य यूपी में मेडिकल संबंधी जरूरतों के लिए इसे इंस्टीटयूट बनाने के लिए कालेज प्रशासन डॉ. हर्षवर्धन से भी मदद मांगेगा.

सीनियर फैकल्टी को जिम्मेदारी

जीएसवीएम मेडिकल कालेज को आरएमएल की तर्ज पर विकसित करने को लेकर जरूरी चीजों की रिपोर्ट तैयार करने के लिए प्रिंसिपल डॉ. आरती लालचंदानी ने पीडियाट्रिक विभाग के हेड प्रो. यशवंत राव और न्यूरो सर्जरी विभाग के हेड डॉ. मनीष सिंह को जिम्मेदारी दी है. जोकि स्टाफ, फैकल्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर और एकेडमिक्स से जुड़ी हर डिटेल को लेकर एक प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं.

अपग्रेडेशन का काम तेज

मेडिकल कॉलेज को इंस्टीट्यूट का दर्जा दिलवाने के लिए मेडिकल कॉलेज का अपग्रेडेशन किया जाना भी जरूरी बताया गया. जिस पर तेजी से काम चल रहा है. पीएमएसवाई के तहत 240 बेड के सुपरस्पेशिएलिटी काम्प्लेक्स का सिविल वर्क चल रहा है. जिसमें 6 सुपरस्पेशिएलिटी डिपार्टमेंट्स शुरू होंगे. इसके अलावा न्यूरो साइंस सेंटर और मेटरनिटी विंग का निर्माण पूरा हो चुका है. जीएसवीएम को इंस्टीटयूट का दर्जा दिलाने में यह अपग्रेडेशन काफी मायने रखेगा.

मेडिकल कॉलेज एक नजर में-

- 1957 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया उद्घाटन

- यूपी का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज, एमबीबीएस की 190 और पीजी की 135 सीटें

- 1619 बेड स्वीकृत एलएलआर व संबद्ध अस्पतालों में

- 10 लाख से ज्यादा पेशेंट्स की सलाना ओपीडी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों की

- 60 हजार से ज्यादा पेशेंट्स की भर्ती हर साल संबद्ध अस्पतालों में

-एलपीएस इंस्टीटयूट ऑफ कार्डियोलॉजी व जेके कैंसर इंस्टीट्यूट मेडिकल कॉलेज से संबद्ध

- 24 डिपार्टमेंट्स, कार्डियोलॉजी में दो सुपरस्पेशिएलिटी डिपार्टमेंट, 6 सुपरस्पेशिएलिटी डिपार्टमेंट्स शुरू करने की तैयारी

- मध्य यूपी और बुंदेलखंड के कई जिलों के पेशेंट्स के लिए सबसे बड़ा रेफरल सेंटर

वर्जन-

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को इंस्टीट्यूट बनाने को लेकर जरूरी प्रपोजल तैयार कराए जा रहे हैं. शासन और केंद्र स्तर से इसके लिए जो भी प्रयास जरूरी होंगे, वह किए जाएंगे. जिससे पेशेंट्स और मेडिकल स्टूडेंट्स को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके.

- डॉ. आरती लालचंदानी, प्रिंसिपल जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज