स्टेडियम का भूतिया बंगला

दरअसल, कैलाश प्रकाश स्पोट्र्स स्टेडियम में एक जिमनास्टिक हॉल है। ये जिमनास्टिक हॉल सालों से बंद पड़ा हुआ है। यहां कर्मचारी सफाई तक करने से कतराते हैं, हॉल में लगा लकड़ी का फर्श खराब हो चुका है, इक्यूपमेंट कबूतरों की बीट से सड़ रहे हैं।

कैसी कैसी अनहोनी

इस स्टेडियम में पहले जिमनास्टिक कोच राजीव जिंदल तैनात थे, वह सालों से इस जिमनास्टिक हॉल में बच्चें लाने की जद्दोजहद करते रहे, लेकिन कोई खिलाड़ी यहां आकर प्रैक्टिस नहीं कर सका। कुछ खिलाड़ी आए भी, लेकिन सिलसिला जल्द ही टूट गया। पिछले साल राजीव जिंदल की हार्ट अटैक से आकस्मिक मौत हो गई और स्टेडियम के इस हॉल में ताला डल गया। इसके बाद छह महीने पहले ही एक एडहॉक कोच की खेल विभाग ने यहां तैनाती की, सोचा अब ये चल पड़ेगा, लेकिन महिला जिमनास्टिक कोच को आए अभी एक महीना भी नहीं हुआ था कि उनके पति की मौत हो गई और जिमनास्टिक हॉल पर फिर ताला डल गया।

क्यों नहीं होता यूज

जिमानास्टिक हॉल में खिलाड़ी नहीं हैं, जिन्हें सिखाया जाए, लेकिन सवाल ये है कि क्यों इस जिमनास्टिक हॉल को किसी दूसरे खेल में उपयोग में नहीं लाया जाता। क्यों इस हॉल में कोई अन्य खेल नहीं खेला जा सकता है। हालत ये है कि इस हॉल के चेंजिंग रूम में एक अन्य खेल के कोच अपने परिवार संग रह रहे हैं।

"इस हॉल में तो कभी जाना ही नहीं हुआ है। काफी फायदेमंद होता है किसी भी खिलाड़ी के लिए जिमनास्टिक। अगर खुले तो फायदा मिलेगा."

स्वाति, वुशू खिलाड़ी

"बैडमिंटन के मूव के लिए तो बहुत जरूरी है जिमनास्टिक। स्ट्रैंचिंग के लिए भी सहायक है। ऐसे में अगर यहां सिखाया जाए तो काफी मद्द मिलेगी."

दिव्या, बैडमिंटन खिलाड़ी

"इस हॉल का जल्द ही इस्तेमाल किया जाएगा। अभी व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं."

आरएन सिंह, आरएसओ