जिला पंचायत अध्यक्ष रेखा सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव और केशरी देवी को अध्यक्ष बनाने आदेश रद

गोपनीयता कायम न रख पाने के कारण इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव की कार्यवाही को अवैध घोषित किया

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करीब पांच महीने तक जिला पंचायत की सत्ता से बाहर रहने वाली श्रीमती रेखा सिंह को 'वनवास' खत्म हो गया है. जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी एक बार फिर उनके पास आ गयी है. इसका कारण है इलाहाबाद हाई कोर्ट का बुधवार को आया महत्वपूर्ण आदेश. कोर्ट ने उनके खिलाफ 25 अक्टूबर 18 को पारित अविश्वास प्रस्ताव को लॉ के अगेंस्ट करार देते हुए रद कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि धारा 128 के अन्तर्गत मतदान की गोपनीयता कायम न रखने के कारण अविश्वास प्रस्ताव पारित करने की प्रक्रिया गैर कानूनी है. कोर्ट ने श्रीमती केशरी देवी को जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यभार सौंपने के आदेश को भी रद कर दिया है. यह आदेश जस्टिस पीकेएस बघेल और जस्टिस पंकज भाटिया की खंडपीठ ने श्रीमती रेखा सिंह की दोनों याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एमडी सिंह शेखर, वरिष्ठ अधिवक्ता टीपी सिंह व स्वाती अग्रवाल तथा विपक्षी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता शशिनन्दन व वरिष्ठ अधिवक्ता रविकान्त एवं प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व एके गोयल ने बहस की. दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था.

सत्ता परिवर्तन से शुरू हुआ खेल

जिला पंचायत अध्यक्ष पद का पहला निर्वाचन 8 जनवरी 2016 को हुआ था

तब प्रदेश में सपा की सरकार थी और पार्टी प्रत्याशी रेखा ने 63 मत पाकर जीत दर्ज की

2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार का गठन हुआ तो रेखा और उनकी प्रतिद्वन्दी केसरी देवी दोनो ने पार्टी बदल ली

1 अक्टूबर 2018 को 64 सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ केशरी देवी ने रेखा सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया

25 अक्टूबर को पीठासीन अधिकारी अपर जिला जज की देखरेख में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान हुआ

कुल 51 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा लिया. 48 वोट अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में पड़े

इससे रेखा सिंह को कुर्सी गंवानी पड़ गयी और सत्ता केशरी देवी पटेल के हाथ फिर से आ गयी

दिखाकर वोट देना पड़ गया भारी

25 अक्टूबर को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान दिखाकर वोट डाला जाना मुद्दा बन गया. इसे गुप्त मतदान के नियम के विपरीत करार देते हुए हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी. इसमें केशरी देवी को अध्यक्ष नियुक्त कर दिये जाने पर भी सवाल खड़ा किया गया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिग की सीडी तलब कर देखा. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के तमाम फैसलों पर विचार करते हुए माना कि मतदान की गोपनीयता भंग हुई है. इसी के आधार पर अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया को विधि विरुद्ध करार दिया.

2000 से रेखा-केशरी में चल रहा सांप सीढ़ी का खेल

जिला पंचायत की राजनीति में केशरी देवी पटेल लम्बे समय से सक्रिय हैं. वर्ष 2000 में ही उन्हें अध्यक्ष की कुर्सी मिल गयी थी. इसके बाद उन्होंने पांच बार इस पद को संभाला है. पिछले साल अविश्वास प्रस्ताव पास होने के बाद छठीं बार कुर्सी उनके हाथ आयी थी. रेखा सिंह भी इस मामले में ज्यादा पीछे नहीं हैं. उन्होंने तीन बार इस कुर्सी पर कब्जा जमाया है. कोर्ट के आदेश के बाद चौथी बार वह इस पद को संभालेंगी. अब तक कई मौके ऐसे आये हैं जब दोनों ने अविश्वास प्रस्ताव के जरिये दोनों ने एक-दूसरे से ताज छीना है. इस दौरान दोनों ने दलीय निष्ठा भी बदली है ताकि सत्ता हाथ से जाने न पाये.

हाई कोर्ट का निर्णय आश्चर्यजनक है. रेखा सिंह को इस पद पर पुन: बैठाया जाना लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. हम न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और सदस्यों की राय के अनुसार पुन: अविश्वास प्रस्ताव लाया जायेगा.

केशरी देवी पटेल