पीठ ने बताया ऐसा
इस बारे में न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ ने बताया है कि बंबई उच्च न्यायालय के आदेश में किसी भी तरह के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है। न ही तो इसमें किसी भी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त किया जाएगा। बता दें कि न्यायालय वकील मनोहर लाल शर्मा के माध्यम से सुशीला बाई हिम्मत राव पाटिल की याचिका पर सुनवाई की जा रही थी।

याचिका में लगाया गया आरोप
बता दें कि उनकी इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि उच्च न्यायालय ने पाटिल को राहत नहीं दी। यहां ये बताना भी जरूरी होगा कि ये वही पाटिल हैं, जिसके बेटे रवीन्द्र पाटिल की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। रवींद्र पाटिल सलमान खान के  अंगरक्षक थे। इसके साथ ही वह 2002 के हिट एंड रन केस में मुख्य गवाह भी थे।

ऐसी जांच का किया अनुरोध
उनकी ओर से दायर इस याचिका में सलमान खान की जमानत को रद्द करने के साथ ही पाटिल की मौत की परिस्थितियों की भी जांच करने का अनुरोध किया गया था। इस बारे में शीर्ष अदालत ने मामले में उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर विचार न करने का फैसला लिया है।

इससे पहले भी हो चुका है ऐसा
बता दें कि वैसे ये कोई पहली बार नहीं है। इससे पहले भी 31 अगस्त को शीर्ष अदालत ने सुशीला बाई पाटिल की इसी तरह की याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया था। बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को छह मई को निचली अदालत ने गैर इरादतन हत्या के मामले में पांच साल की सजा सुनाई थी।

ऐसा है पूरा मामला
इसके बाद भी सलमान जेल जाने से बच गए। ऐसा इस तरह से हुआ क्योंकि आठ मई को उसे बंबई उच्च न्यायालय ने अंतरिम जमानत दे दी थी। 8 मई को उच्च न्यायालय ने सलमान की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें दोषसिद्धि के खिलाफ अपील को लंबित रहने की अवधि के दौरान जमानत दे दी गई थी।

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