नई दिल्ली (पीटीआई)। कानपुर एनकाउंटर के मुख्य आरोपी विकास दुबे का शु्क्रवार को एनकाउंटर हो गया है। हालांकि उसके एनकाउंटर से कुछ घंटों पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई थी कि उसके जीवन की रक्षा करें और सुनिश्चित करें कि वह पुलिस द्वारा नहीं मारा जाएगा। याचिका में एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की गई थी। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में विकास के पांच साथियों के एनकाउंटर की सीबीआई से जांच की कराने की मांग भी हुई थी। अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय द्वारा शीर्ष अदालत में दायर की गई याचिका में मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया गया था।

रात 2 बजे याचिका की ई-फाइलिंग की

उपाध्याय द्वारा ने इस संबंध में न्यूज एजेंसी पीटीआई को फोन पर बताया, मैंने रात 2 बजे याचिका की ई-फाइलिंग की थी और प्रोविजनल नंबर भी आवंटित कर दिया था। उन्होंने विकास दुबे की आवासीय इमारत, वाहन और अन्य संपत्तियों के विध्वंस के लिए एफआईआर दर्ज करने और सह-अभियुक्तों की मुठभेड़ों के संबंध में जांच के निर्देश देने की मांग की है। 8 पुलिस कर्मियों की हत्या के सातवें दिन हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की उज्जैन में गिरफ्तारी हुई थी। उसे कानपुर लाया जा रहा था। उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की टीम उसे लेकर कानपुर आ रही थी, तभी कानपुर नगर भौंती में पुलिस की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई।

एनकाउंटर के बाद पुलिस पर सवाल उठ रहे

इस दाैरान उसमें बैठे अभियुक्त व पुलिसकर्मी घायल हो गए, तभी माैका देखते ही 5 लाख के इनामी मोस्ट वांटेड विकास दुबे ने घायल पुलिस कर्मी की पिस्टल छीन कर भागने की कोशिश की। पुलिस टीम ने विकास दुबे का पीछा किया तो वह फायरिंग करने लगा। पुलिस की ओर से की गई जबाबी फायरिंग और वह इस मुठभेड़ में घायल हो गया। उसे तुरंत उपचार हेतु अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी माैत हो गई है। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुठभेड़ को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला किया।

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