ये है म्यूचुअल फंड
दरअसल हिंदी में म्यूचुअल का मतलब होता है आपस में। कुल मिलाकर म्यूचुअल फंड का मतलब होता है आपस में मिलकर बनाया गया फंड। कहने का मतलब ये है कि कुछ लोग मिलकर जब एक फंड का निर्माण करते हैं और किसी खास मकसद से उसका निवेश करते हैं। इसे म्यूचुअल फंड कहा जाता है। एक उदाहरण से समझें कि आप एक निवेशक हैं। बतौर निवेशक आप रिलायंस या ओएनजीसी के शेयर में पैसा लगाना चाहते हैं या सोने में या सरकारी बांड में पैसा लगाना चाहते हैं, लेकिन आपके पास पैसे कम हैं। इसके अलावा आपको शेयर बाजार में निवेश के बारे में जानकारी भी नहीं है। अब ये भी मान लीजिए आप एक हजार रुपये शेयर में या सोने में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन इसमें आपकी पसंद का न तो कोई शेयर आ रहा है और न ही सोना। यहां आपकी इस चाहत को पूरी करने के लिए है म्यूचुअल फंड। इसमें आपके जैसे हजारों छोटे और अनाड़ी निवेशकों के पैसे को इकट्ठा करके आपकी पसंद की कंपनी या सेक्टर में निवेश किया जाता है। इसके बाद अब जैसे-जैसे आपका निवेश बढ़ता है, आपके खाते में शेयर या सोना या बांड की इकाई (यूनिट) जमा होती जाती है।

ध्यान रखें इस बात का
एक अज्ञान निवेशक को अपने स्तर पर या किसी भी म्यूचुअल फंड के प्रतिनिधि से सबसे पहले राय ले लेनी चाहिए। राय लेकर उसे यह तय कर लेना चाहिए कि वह किस सेक्टर में निवेश करेगा। अब आप सोचेंगे कि सेक्टर क्या है। सेक्टर का मतलब है किस क्षेत्र की कंपनी, यानी पेट्रोलियम, रियल एस्टेट, एफएमसीजी, फार्मा, माइनिंग, एनर्जी, गोल्ड आदि सभी सेक्टर हैं। निवेश करने के लिए सेक्टर चुनने की प्रक्रिया को पोर्टफोलियो (निवेश सूची) बनाना कहते हैं। अब दूसरे शब्दों में देखें तो उसे अपनी सम्पत्ति के सही निवेश का फैसला करना चाहिये।

असेट अलोकेशन
पोर्टफोलियो का निर्धारण करना म्यूचुअल फंड की भाषा में असेट अलोकेशन कहलाता है। बताते हैं कि असेट अलोकेशन क्या है। ये वो तरीका है जो ये निर्धारित करता है कि आप अपने पैसे को विभिन्न निवेशों में कैसे लगाएंगे कि अपके निवेश में सभी सेक्टरों का उचित मिश्रण हो। इसका मतलब है हाइब्रिड इनवेस्टमेंट। असेट अलोकेशन के लोकप्रिय नियम कहते हैं कि निवेशक की जो भी उम्र रही हो, उसे अपने पोर्टफोलियो में अपनी उम्र जितना धन प्रतिशत रखना चाहिए।

ऐसे चुनें सही फंड
गौर करें, सही फंड को चुनने के लिए ध्यान रखें कि सही फंड चुनने की कुंजी उनके निवेश सिद्धांत और रिटर्न की स्थिरता पर निर्भर करती है। सही फंड को चुनें जो आपकी जरूरतों के लिए उपयुक्त हो। इसको सुनिश्चित करने के लिए निम्न बातों पर विचार करना जरूरी होगा।

1 . अपने आर्थिक लक्ष्यों को पहले से ही निर्धारित करके चलें।
2 . सोच लें कि क्या आप अपनी सेवानिवृत्ति के लिये निवेश कर रहे हैं, या अपने बच्चे की शिक्षा के लिए या फिर वर्तमान आमदनी के लिए।
3 . अपनी तय समय सीमा पर विचार कर लें।
4 . क्या आपको तीन महीने के समय में पैसा चाहिए या फिर तीन साल में। ऐसे में जितना विस्तृत आपका समय होगा उतना ज्यादा जोखिम आप निवेश में उठाने के काबिल होंगे।
5 . अब आप ये बताएं कि जोखिम को उठाने के बारे में आप क्या सोचते हैं। क्या आप उच्च रिटर्न की संभावना के लिये शेयर बाजार के उतार चढ़ाव को बर्दाश्त करने की स्थिति में हैं।
6 . आपको अपने स्वयं के जोखिम को उठाने की क्षमता के बारे में अवश्य पता होना चाहिए, यह सही निवेश योजना को चुनने के लिए एक गाइड हो सकता है।
7 . याद रखें कि संभावित रिटर्न की चिंता किए बिना अगर आप किसी विशेष परिसंपत्ति वर्ग के साथ सहज नही हैं तो आपको अन्य निवेश विकल्पों पर विचार करना चाहिए।
8 . ध्यान रखें कि इन सभी कारकों का सीधा प्रभाव उन फंड पर पड़ता है जिन्हें आप चुनते हैं और जो रिटर्न आप प्राप्त करने की उम्मीद रखते हैं।
9 . इनसे भी ज्यादा ध्यान रखने वाली बात ये है कि आपके लिए सही सूचना की जानकारी रखना बहुत आवश्यक है। इसे पाने के लिए  आपको बस थोड़ा समय सूचना को समझने और विश्लेषण करने में खर्च करना होगा। यह आपके निवेश की सफलता की संभावना को बढ़ाने के लिए जरूरी है।
10 . इन सबसे ज्यादा एक पेशेवर सलाहकार की मदद सही फंड चुनने के लिए लेना बिल्कुल न भूलें, जिसमें सिप (सिस्टेमैटिक इन्वेस्ट प्लान),एसटीपी (सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान) और एकमुश्त निवेश का सही मिश्रण हो।

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