-भूकंप के बाद मकानों की मजबूती का आंकलन करने वाला कोई नहीं..

- भूकंप के झटकों से शहर के कुछ अपार्टमेंट्स और मकानों में पड़ीं दरारें

- नुकसान का आंकलन और मेंटीनेंस का आंकलन करने के यहां पुख्ता इंतजाम नहीं

- अब भी भूकंप का ख्याल आते ही डर से सिहर उठते हैं शहर के लोग

abhishek.mishra@inext.co.in

KANPUR : भूकंप के झटकों ने शहरवासियों को खौफजदा कर रखा है. हर कोई डरा-सहमा सा है, ना जाने कब भूकंप आ जाए. खासकर अपार्टमेंट और हाई राइज बिल्डिंग्स में रहने वाले लोग. इस आपदा के बाद सबके दिमाग में रह-रहकर एक ही सवाल उठ रहा है कि भविष्य में उनका आशियाना भूकंप के झटके झेलने लायक बचा भी है या नहीं?

दरक गईं घरों में दीवारें

नेपाल में आए भूकंप की धमक शहर में भी महसूस की गई, जिसकी वजह से शहर में कुछ आशियाने दरक गए हैं. कहीं घर के अंदर की दीवारें चटक गईं तो कहीं पर फ्लैट्स की बालकनी का प्लास्टर उखड़कर गिर गया. ब्रह्म नगर, वीआईपी रोड, नौबस्ता, रूपम चौराहा, नौबस्ता इलाकों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. इन इलाकों में रिहायशी और कॉमर्शियल बिल्डिंग्स को काफी नुकसान पहुंचा है. शुक्र रहा कि आपदा से जिले में कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन प्रॉपर्टी डैमेज होने से लोगों को फाइनेंशियल बर्डन की चिंता जरूर सता रही है.

रह-रहकर लगता है डर

वीआईपी रोड स्थित सृष्टि-कल्पना अपार्टमेंट की आठवीं मंजिल भी भूकंप के झटके झेल नहीं सकी. फ्लैट ओनर पायल ने बताया कि बिल्डिंग अर्थक्वैक रेजिस्टेंस है. फिर भी फ्लैट की बाहरी दीवार और छज्जे की बाउंड्री वॉल झटके झेल नहीं सकीं और इन पर गहरी-गहरी दरारें पड़ गईं. बिल्डिंग के फ‌र्स्ट फ्लोर के कुछ फ्लैट्स का प्लास्टर उखड़कर गिर गया है. इसी तरह जवाहर नगर निवासी आकाश शुक्ला के घर के ग्राउंड फ्लोर में करीब डेढ़ मीटर की दरार आ गई है. जो दीवार के दोनों तरफ से देखी जा सकती है. आकाश ने बताया कि अब तो उस रूम में जाने पर ही डर लगता है.

कई जख्म छिपे हुए भी

भूकंप की वजह से कई आशियानों के जख्म उभर आए है, लेकिन कई मकान ऐसे भी हैं, जिन्हें अंदर से जख्म मिला है. आईआईटी कानपुर में अर्थक्वैक इंजीनियरिंग के एक्सपर्ट प्रोफेसर दुर्गेश चन्द्र राय ने बताया कि भूकम्प के झटकों का असर हर मकान पर पड़ता है. यह काफी खतरनाक स्थिति होती है. क्योंकि यह नुकसान विजिबल नहीं होता. इसलिए घर की छत, दीवारें या फर्श में अंदर से कहां, कितनी गहरी दरारें आई हैं? इसका अंदाजा लोगों को नहीं हो पाता. इसका पता तब चलता है जब दोबारा उससे भी ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप आता है.

कोई ऑथराइज्ड एजेंसी नहीं

शहर में भूकंपरोधी अपार्टमेंट्स और मकान की संख्या ज्यादा नहीं है. ऐसे में अगर दोबारा भूकंप आता है तो क्या मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स और मकान रहने लायक बचे हैं या नहीं? यह सवाल सबके मन में रह-रहकर उठ रहा है. मगर, इन सवालों का जवाब पब्लिक को देने वाला कोई नहीं है. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि जिले में कोई भी ऑथराइज्ड सरकारी एजेंसी नहीं है जो यह पता लगा सके कि भूकंप के बाद मकानों को कितना अंदरुनी नुकसान हुआ है. सिर्फ आईआईटी के वैज्ञानिक ही हैं, जिनके पास नुकसान का आंकलन और पता लगाने की तकनीक है.

सिर्फ लकीर पीट रहे हैं अफसर

भूकंप की स्थिति से निपटने के लिए जिले में इंतजाम पूरी तरह से नदारद हैं. आपदा प्रबंधन विभाग का अता-पता ही नहीं है. नतीजा यह हुआ कि भूकम्प के बाद जिला प्रशासन के अफसरों की आंखें खुली हैं. आपदा के बाद जिलाधिकारी स्तर पर एक टीम का गठन करने का आदेश जारी किया. इसमें आईआईटी के एक्सपर्ट को भी शामिल किया गया है. मगर, यह टीम कब तक बनेगी? इसका वास्तविक स्वरूप कैसा होगा? इसका काम कब से शुरू होगा? उसकी दिशा और दशा अब तक तय नहीं है. फिलहाल, नुकसान का आंकलन करने के लिए तहसीलदार के नेतृत्व में टीम गठित की गई है जोकि मौके पर जाकर नुकसान का आंकलन करेगी.

सबको एंटरटेन नहीं करती आईआईटी

भूकंप से पहले आधिकारिक रूप से भारत सरकार, राज्य सरकार या जिला प्रशासन की तरफ से ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है कि आम जनता अपने मकान की स्ट्रक्चरल स्ट्रेंथ यानि मजबूती का आंकलन करवाने के लिए आईआईटी के वैज्ञानिकों की मदद ले सके. न ही आईआईटी सीधे तौर पर किसी को एंटरटेन ही करती है. हां, अगर सरकार या प्रशासन किसी खास जगह या मकान की मजबूती का आंकलन करवाने के लिए संस्थान से अप्रोच करते हैं. तब वहां की एक्सपर्ट टीम मौके पर जाकर एनालिसिस करती है.

अब तक तीन ने मांगा मुआवजा

जिला प्रशासन के पास तीन मामले ऐसे आए हैं, जिनमें भूकंप की वजह से मकानों में दरार पड़ने का हवाला देते हुए मुआवजे की मांग की गई है. एडीएम फाइनेंस शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि इन सभी केसेज को तहसील भिजवा दिया गया है. ऐसे मामलों में छानबीन करने के लिए मौके पर तहसीलदार के नेतृत्व में टीम भेजी जाएगी. अगर दावा सही पाया जाता है तो शासन से मुआवजे की मांग की जाएगी.

ऐसे करें मुआवजे की मांग

अगर आपके घर में भी भूकंप की वजह से दरार आ गई है या अन्य किसी तरह का नुकसान हुआ है तो आप भी जिला प्रशासन से मुआवजे की मांग कर सकते हैं. यह दैवीय आपदा की श्रेणी में आता है. मुआवजे का क्लेम करने के लिए कलक्ट्रेट स्थित दैवीय आपदा विभाग में एप्लीकेशन दी जा सकती है. या फिर एडीएम फाइनेंस के मोबाइल नंबर 9ब्भ्ब्ब्क्7म्ख्भ् पर कॉल या व्हॉट्स-एप करके जानकारी दी जा सकती है. आवेदन के आधार पर टीम भेजकर सर्वे करवाया जाएगा. पात्र लोगों के लिए मुआवजे की मांग शासन से की जाएगी.

ø अर्थक्वैक से होने वाले नुकसान का आंकलन करने के लिए तहसीलदार के सुपरविजन में असेसमेंट करवाने की व्यवस्था की गई है. फिलहाल, यहां ऐसी कोई सरकारी ऑथराइज एजेंसी नहीं है जोकि भूकम्प के बाद मकानों की मजबूती की पड़ताल कर सके.

- शत्रुघ्न सिंह, एडीएम फाइनेंस

ø भूकंप के बाद बिल्डर ने आकर हमें बताया कि बिल्डिंग अर्थक्वैक रेजीस्टेंस है. फिर भी यह मन में यह बात जरूर उठती है कि हमारा फ्लैट भविष्य में भूकंप के झटके सहन कर पाएगा भी या नहीं. ना ही हमें यह मालूम है कि इसका आंकलन कहां और कैसे करवाएं.

- पायल

ø जिस वक्त भूकंप आया था, फ‌र्स्ट फ्लोर की बालकनी का प्लास्टर टूटकर गिरने लगा. नेपाल में भूकम्प आने भर से यह हालत है तो अगर कभी ज्यादा तगड़ा आया तो क्या होगा.

- बबलू

ø उस दिन तो लगा कि बचूंगा ही नहीं. किसी तरह जीने से उतरकर ग्राउंड फ्लोर तक आ सका. बाद में घर वापस लौटा तो बाहर की दीवारों पर दरारें दिखीं.

- राम नारायण