आइबीएल के आयोजकों को लगातार भारतीय शटलरों के फोन आ रहे हैं और वह तर्क दे रहे हैं कि मैं तो उस खिलाड़ी को हरा देता था, वह मुझसे जूनियर था, इसके बावजूद मुझे नीलामी में कम रकम मिली जबकि उसको ज्यादा रकम मिली.

 ज्वाला गट्टा, अश्विनी पोनप्पा, रूपेश कुमार और सानावे थॉमस तो मीडिया के सामने खुलकर विरोध जता चुके हैं लेकिन कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं जो आयोजकों को फोन करके अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. एक भारतीय खिलाड़ी ने आयोजक को फोन करके कहा कि मैं तो पारुपल्ली कश्यप को आसानी से हरा देता हूं.

उसने एक बार ओलंपिक में कुछ अच्छा प्रदर्शन क्या कर दिया उसे अच्छी रकम दिलवा दी जबकि मुझे उम्मीद से भी कम रकम मिली. यही नहीं एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की महिला डबल्स खिलाड़ी ने आयोजकों पर आरोप लगाया है कि नीलामी में गड़बड़ी हुई है और इसमें पुलेला गोपीचंद की अकादमी में सीखने वाले खिलाडिय़ों को ज्यादा रकम मिली है जबकि बाकी सीनियरों के साथ धोखा हुआ है.

अगर नीलामी की सूची देखें तो पता चलता है कि गोपीचंद की अकादमी की साइना नेहवाल, पीवी सिंधू, कश्यप, साई प्रणीत और के. श्रीकांत जैसे खिलाडिय़ों को अच्छी रकम मिली.

वहीं अश्विनी का कहना है कि उन्हें कम रकम मिली जबकि उनसे जूनियर महिला खिलाड़ी प्रादन्या गादरे और तरुन कोना को 46,000 डॉलर (लगभग 27 लाख 36 हजार रुपये) और 28,000 डॉलर (लगभग 16 लाख 65 हजार रुपये) में खरीदा गया है जबकि इनके बेस प्राइज क्रमश: 10,000 डॉलर और 15,000 डॉलर थे.

अश्विनी को पुणे पिस्टंस ने सिर्फ 25,000 डॉलर (लगभग 14 लाख 87 हजार रुपये) में खरीदा.

आयोजक इन सब बातों से बहुत परेशान हैं. आइबीएल का कामकाज देख रही स्पोर्टी सल्यूशंस के एक अधिकारी ने कहा कि हमारे पास खिलाडिय़ों के लगातार फोन आ रहे हैं. हम उन्हें समझा रहे हैं कि बोली लगाना और खिलाड़ी को खरीदना फ्रेंचाइजी के हाथ में है.

स्पोर्टी सल्यूशंस ने इस बात से भी इन्कार किया कि गोपीचंद की अकादमी के खिलाडिय़ों को विशेष महत्व दिया गया. उनका कहना है कि वर्तमान रैंकिंग को देखते हुए फ्रेंचाइजियों ने खिलाडिय़ों को खरीदा है और इसे सबको खेल भावना से लेना चाहिए.