चावल मिलों को अनुचित लाभ

जानकारी के मुताबिक नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कल मंगलवार को संसद में एक बड़ी रिपोर्ट की पेशकश की है। कैग ने इस रिपोर्ट का नाम केंद्रीय पूल के लिए धान की खरीद और मिलिंग शीषर्क दिया है। इसमें कैग ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिए सस्ती दर पर बेचे जाने वाले चावल के लिए धान की सरकारी खरीद और मिलिंग (दराई) के काम में गड़बड़ी को दिखाया है। जिसमें करीब 50,000 करोड़ रुपये से अधिक में घोटालेबाजी कथित तौर पर सामने आ रही है। रिपोर्ट में बिना सत्यापन के किसानों को समर्थन मूल्य के रूप में करीब 18,000 करोड़ रुपये का भुगतान का मामला है। इसके अलावा चावल मिलों को अनुचित लाभ दिए जाने का जिक्र भी दिया गया है।

दरों में कोई गड़बड़ी नही

कैग ने इसके आलावा और भी धान से जुड़े मामलों का जिक्र किया है। जो कि करीब 40,564.14 करोड़ रुपये की गड़बड़ी को बयां कर रहे हैं। कैग का अप्रैल 2009 से मार्च 2014 के बीच की अवधि को लेकर कहना है कि इससे भारत सरकार को खाद्य सब्सिडी खर्च में इजाफा करना पड़ा है। हालांकि सरकार इन आरोपों को लगातार गलत करार दे रही है। उसकी दरों में कोई गड़बड़ी नही हैं। ऐसे में दराई की लागत और उप-उत्पादों का मूल्य के अध्ययन और दिसंबर तक नई दर के बारे में सुझाव देने के लिए ट्रैफिक कमीशन से वार्ता हुई थी। सरकार का कहना है यह महज उसे बदनाम करने की साजिश के तहत किया जा रहा है।

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