स्वाइन फ्लू से निपटने को लेकर सरकारी अस्पतालों में नहीं कोई इंतजाम
तापमान कम होते ही बढ़ सकती है बीमारी, अस्पतालों में नहीं पूरे इंतजाम
स्वाइन फ्लू केसेज में ट्रैवल हिस्ट्री आ रही सामने
डॉक्टर्स बोले, स्वाइन फ्लू से बचने के लिए हाथ मिलाने से करें परहेज
Meerut। नम मौसम में फैलने वाला स्वाइन फ्लू 45 डिग्री सेल्सियस पार तापमान में भी अपनी जड़ें फैला रहा है। बीते कुछ दिनों में विभाग तीन केसेज में स्वाइन फ्लू की पुष्टि कर चुका है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग सजग नहीं दिख रहा है। इतना ही नहीं अभी तक न तो विभाग की तैयारियां मुकम्मल हैं, न ही अस्पताल इसे लेकर गंभीर है। ऐसे में मौसम के रूख में जरा भी परिवर्तन होते ही ये बीमारी शहर को पूरी तरह से अपनी चपेट में ले लेगी।
पहाड़ों की सैर बड़ा कारण
हाल ही में मिले स्वाइन फ्लू केसेज में ट्रैवल हिस्ट्री सामने आई है। पीडि़त मरीज पहाड़ों या कम तापमान वाली जगहों को घूमकर आए थे। मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबॉयलॉजी विभाग के हेड डॉ। अमित गर्ग बताते हैं कि कम टैंप्रेचर में स्वाइन फ्लू का वायरस एक्टिव हो जाता है। इसके बाद करीब 8 दिन तक इसका असर रहता है। इसके अलावा कई बार एसी में भी वायरस को अनुकूल टैंप्रेचर मिल जाता है। ऐसे में पहाड़ों और ठंडे इलाकों की सैर करके लौटने वाले लोगों में इसका खतरा काफी ज्यादा है।
आईसोलेशन का नहीं इंतजाम
स्वाइन फ्लू को लेकर अस्पतालों में बेहद पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। जिला अस्पताल में अलग से वार्ड जरूर बना है लेकिन जनरल वार्ड के सामने होने की वजह से ये पूरी तरह से आईसोलेटेड नहीं हैं। वहीं मेडिकल कॉलेज में भी स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए अलग से इंतजाम नहीं हैं। मल्टीपर्पज वार्ड में ही इनको शिफ्ट कर दिया जाता है। जहां दूसरे लोगों का भी आना-जाना लगा रहता है।
किट और मास्क का टोटा
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए विभाग के पास पर्याप्त किट और मास्क तक नहीं हैं। एन 95 मास्क का स्टॉक सीमित है। वहीं जांच किट का स्टॉक भी लिमिटेड है। ऐसे में बीमारी के बढ़ते ही मरीजों को मास्क और किट की किल्लत से भी जूझना पड़ सकता है।
हाथ न मिलाएं, बरतें एहतियात
स्वाइन फ्लू को रोकने के लिए जहां विभाग के इंतजाम पर्याप्त नहीं हैं। वहीं लोगों के पास सावधानी बरतने का ही विकल्प है। एक्सपर्ट के मुताबिक हाथ मिलाने की बजाय हाथ जोड़कर अभिवादन करना ही बेहतर है। इसके अलावा जांच के बाद ही एक्सपर्ट की सलाह से दवाइयों का सेवन करें। इसकी वजह से साइड इफेक्ट्स का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है।
ह्यूमिडिटी बनी वजह
एपिडेमिलॉजी विभाग की हेड डॉ। रचना टंडन के मुताबिक स्वाइन फ्लू का वायरस 10 से 25 डिग्री तापमान में ही सरवाइव कर पाता है। भीषण गर्मी में इसका सरवाइव कर पाना मुश्किल है। इस दिनों 45 पार तापमान में भी इसके फैलने की वजह से ह्यूमिडिटी है। नमी मिलते ही एच1एन1 वायरस एक्टिव हो रहा है। हालांकि अभी ये सिर्फ बाहर से आने वाले लोगों में ही मिला है। 2017 में भी इसी तरह गर्मी में वायरस एक्टिव हो गया था।
ये करना है विभाग को
प्रभावी क्षेत्रों में क्या करें, क्या न करें का प्रसार किया जाएगा।
संक्रमण की सूचना पर टोल फ्री नंबर 18001805145 पर कॉल की जा सकती है।
सभी जगह दवाइयां व अन्य सामग्री पूरी तरह से उपलब्ध करवाई जाएंगी।
स्वाइन फ्लू की पुष्टि एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज की लैब में जांच के बाद ही होगी।
यह रही स्वाइन फ्लू की स्थिति
17 अप्रैल 2019 तक 387 मरीज पॉजिटिव मिल थे। अब इसमें तीन नए मरीज और शामिल हो गए हैं।
2018 - 28 केस पॉजिटिव मिले
2017 - 395 केस स्वाइन फ्लू के पॉजिटिव मिले
यह है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू एन1एच1 वायरस के फैलने से होता है। 10 से 15 डिग्री तापमान में यह सक्रिय हो जाता है। यह मौसम स्वाइन फ्लू के वायरस के लिए पूरी तरह से अनुकूल हैं। हालांकि 2017 में जून की गर्मी में भी स्वाइन फ्लू का संक्रमण फैला था। इस साल भी गर्मी में स्वाइन फ्लू के मामले सामने आएं हैं।
ऐसे पहचानें स्वाइन फ्लू
4-5 से दिन से अधिक तक सर्दी-जुकाम रहना
तेज बुखार
सिर में दर्द
उल्टी आना
बेचैनी होना
मांसपेशियों में अकड़न व दर्द
बरतें सावधानी
भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से परहेज करें।
नाक और मुंह को ढंककर रखें, मॉस्क लगाएं व किसी से हाथ न मिलाएं।
आराम करें, पानी अधिक पीएं।
बुखार, सर्दी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए अलर्ट जारी कर दिया गया है। शासन को दवाइयों की मांग भेजी गई है। मेडिकल कॉलेज की लैब में जांच के बाद ही स्वाइन फ्लू की पुष्टि होगी।
डॉ। राजकुमार, सीएमओ, मेरठ
हमारे पास पर्याप्त दवाइयों का स्टॉक है। कुछ और भी दवाइयों की डिमांड भेजी गई है। मास्क के लिए भी डिमांड की गई है।
डॉ। आरसी गुप्ता, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज
स्वाइन फ्लू का वार्ड पहले ही बना दिया गया था। दवाइयों की स्टॉक पर्याप्त है।
डॉ। पीके बंसल, एसआईसी, जिला अस्पताल