नई दिल्ली (पीटीआई)। अतीत में प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर का उपयोग अपनी सरकार के कार्यक्रमों जैसे 'स्वच्छ भारत', 'आयुष्मान भारत' और भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन की घोषणा और सरकार के प्रदर्शन पर रिपोर्ट कार्ड पेश करने के लिए किया है।

आर्टिकल 370 का हो सकता जिक्र  

पार्टी नेताओं का मानना है कि हाल के आम चुनावों में भाजपा की उल्लेखनीय जीत और संसद से जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को रद्द करवाने में मिली सफलता से उनके भाषण की दिशा पहले ही तय हो चुकी है।

दूर की घाटी के लोगों की चिंता  

पिछले सप्ताह राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, उन्होंने घाटी के लोगों को विकास और शांति का आश्वासन दिया था, इसके जरिए उन्होंने राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के अपनी सरकार के फैसले के बाद चिंताओं को दूर करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

कर लेंगे अटल बिहारी वाजपेयी की बराबरी  

यह मोदी का छठा 15 अगस्त का भाषण होगा, जो अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लाल किले की प्राचीर से संबोधन के बराबर होगा, जो भाजपा के पहले और एकमात्र अन्य प्रधानमंत्री हैं। वाजपेयी ने 1998-2003 के बीच छह सीधे भाषण दिए थे।

हो सकती हैं नई घोषणाएं

2014 में अपनी प्रचंड जीत से भी बड़ी बहुमत के साथ मोदी की सत्ता में वापसी और कोई गंभीर चुनौती देने में असमर्थ विपक्ष को देखते हुए कई लोग मानते हैं कि वह इस अवसर का उपयोग सुधारों की घोषणा करने या समाज के विभिन्न वर्गों को रियायतें देने के लिए कर सकते हैं। एक विचार यह भी है कि मोदी आर्थिक मंदी को लेकर चिंताओं को दूर करने की कोशिश कर सकते हैं।

जल संरक्षण को मिल सकती प्राथमिकता

उन्होंने अक्सर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं का उपयोग अपनी कुछ विशिष्ट परियोजनाओं के लिए लोगों का समर्थन जुटाने के लिए किया है - स्वच्छता से लेकर कन्या भ्रूण हत्या समाप्त करने तक, लेकिन इस बार जल संरक्षण की बारी हो सकती है, एक मुद्दा जिसे उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल में प्राथमिकता दी है।

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