ऑफिसर के सवालों का जवाब नहीं दे सके
भारतीय नागरिक 57 वर्षीय सुरेशभाई पटेल दो हफ्ते पहले अमेरिका आए थे. यहां के अलबामा के हंट्सविले में उनका बेटा चिराग पटेल रहता है. इस दौरान वह पिछले हफ्ते जब सड़क किनारे टहल रहे थे तभी एक पुलिसकर्मी ने उन्हें रोक दिया. पटेल अंग्रेजी नहीं जानते और वह ऑफिसर के सवालों का जवाब नहीं दे सके. वह सिर्फ इतना ही बोल पा रहे थे कि मुझे अंग्रेजी नहीं आती. इस बीच उन्होंने अपना एक हाथ अपनी जेब में डाला. उनके हाथ डालने को देखते हुए पुलिस कर्मी ने उनकी तलाशी लेनी चाही. इस पर वह विरोध करने लगे तो पुलिस कर्मी ने पीटा और धक्का दे दिया. जिससे वह जमीन पर गिर गए. इस घटना के बाद उन्हें अस्पताल में एडमिट कराया गया. जहां डाक्टरों ने उन्हें अस्थायी रूप से लकवाग्रस्त करार दिया है. ऐसे में अब उनकी सर्जरी होनी है.

पुलिस पर केस दर्ज करने का मन बनाया
इस पूरे मामले में पीड़ित के बेटे चिराग का कहना है कि हम अमेरिकी पुलिस से आडियो और वीडियो मांग रहे है, लेकिन वह नहीं दे रहे हैं. इसके अलावा पीड़ित के परिजनों ने भी पुलिस पर केस दर्ज करने का मन बनाया है. वहीं इस सबके साथ ही कई मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना को पुलिस की बर्बरता और नस्ल के आधार पर की गई कार्रवाई करार दिया है. कई भारतीय अमेरिकी संगठनों और मानवाधिकार संगठनों ने अमेरकी पुलिस की बर्बरता की निंदा ही नहीं की है बल्कि उस पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है. इसके अलावा भारत ने भी इस मामले को गंभीरता से उठाया है. उसने वाशिंगटन के सामने इस मामले की निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्यवाई की बात रखी है. पुलिस की इस बर्बरता को अमेरिका में नस्ल भेद के रूप में भी लिया जा रहा है.

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