Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in
@abhishek_awaaz

राजनीतिक उठापटक :

उत्तर प्रदेश की राजनीति सिर्फ एक राज्य तक ही सीमित नहीं होती। यहां के राजनेता केंद्र सरकार को हिलाने का माद्दा रखते आए हैं। ऐसे ही एक राजनेता थे त्रिभुवन नारायण सिंह जो पहले से केंद्रीय मंत्री थे लेकिन यूपी में सियासत की ऐसी बिसात बिछी कि बिना चुनाव जीते ही टीएन सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल गई। इतिहास के पन्नों को पलटे तो समझ में आता है कि त्रिभुवन सिंह राजनीति में आने से पहले स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे। आजादी के बाद देश में जब राजनीति की नींव रखी जा रही थी तब टीएन सिंह एक कुशल राजनेता के रूप में उभर रहे थे। त्रिभुवन सिंह का राजनीति जीवन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। टीएन ने पहले केंद्रीय मंत्री, फिर मुख्यमंत्री और अंत में राज्यपाल तक का सफर तय किया।

केंद्रीय मंत्री जो बिना चुनाव जीते बन गए उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री
महत्वपूर्ण फैसले :
त्रिभुवन सिंह साल 1952 से 1957 तक लोकसभा सदस्य रहे। इसके बाद 8 जनवरी, 1965 से 2 अप्रैल, 1970 तथा 3 अप्रैल 1970 से 2 अप्रैल 1976 तक राज्य सभा सदस्य। इसके बाद त्रिभुवन ने वर्ष 1957-58 में लोक लेखा समिति के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी निभाई। साल 1964-67 तक केंद्रीय उद्योग और पूर्ति तथा लौह और इस्पात मंत्री भी रहे। उस समय उत्तर प्रदेश में चौधरी चरण सिंह की सरकार खतरे में पड़ गई और उन्हें कार्यकाल पूरा होने से पहले हटना पड़ा। ऐसे में टीएन सिंह को यूपी की कमान सौंप दी गई और 18 अक्टूबर, 1970 से 3 मार्च, 1971 तक वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

सिर्फ 19 दिन सीएम कुर्सी पर बैठने के लिए चुनाव लड़े थे यूपी के यह मुख्यमंत्री

त्रिभुवन सिंह के मुख्यमंत्री बनते ही कई विवाद भी शुरु हो गए। दरअसल टीएन उस समय न तो विधानसभा और न ही विधानपरिषद के सदस्य थे। ऐसे में उन्हें सीएम की कुर्सी देने पर सवाल भी उठे। मामला कोर्ट तक पहुंचा और उप-चुनाव कराए गए। जिसमें वह चुनाव हार गए। खैर टीएन सिंह की सरकार ज्यादा दिन चल नहीं पाई और सिर्फ 167 दिन बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। त्रिभुवन सिंह राजनेता के अलावा एक जाने माने पत्रकार भी थे। उन्होंने कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संपादन का कार्यभार भी संभाला।

केंद्रीय मंत्री जो बिना चुनाव जीते बन गए उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री
नेता जी की पत्नी का जानते थे
त्रिभुवन सिंह द्वारा लिखा गया एक पत्र इस समय चर्चा का विषय बना है। टीएन सिंह ने यह पत्र सितंबर 1979 में लिखा था जिसमें कई बड़े-बड़े दावे किए हैं। टीएन सिंह के पोते एएन सिंह ने यह पत्र सार्वजनिक करते हुए कहा कि उनके दादा यानी टीएन सिंह ने सुभाषचंद्र बोस से जुड़े कुछ राज उजागर किए थे। इस पत्र में लिखा था कि, सुभाष चंद्र बोस यानी नेताजी ने एक विदेशी लड़की से शादी की और उनकी बेटी भी थी। और यह बात सरदार वल्लभभाई पटेल को भी पता थी।
सबसे लंबे समय तक राज करने वाले यूपी के यह सीएम, जो कभी वोट मांगने नहीं गए

व्यक्ितगत जीवन :
त्रिभुवन सिंह का जन्म 8 अगस्त 1904 को वाराणसी में हुआ था। उनकी पढ़ाई-लिखाई बनारस के शास्त्री काशी विद्यापीठ में हुई। त्रिभुवन सिंह बचपन से ही तेज दिमाग के थे, यही वजह है कि उन्होंने राजनीति, पत्रकारिता, शिक्षा एवं समाजसेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह एक योग्य एवं सफल शिक्षक रहे। टीएन सिंह साल 1979 से लेकर 1981 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे और आखिर में 3 अगस्त 1982 को उनका निधन हो गया।

केंद्रीय मंत्री जो बिना चुनाव जीते बन गए उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री

चंदा मांगकर नीलामी में खरीदा था स्कूल, ऐसे थे यूपी के पहले सीएम

कानपुर से चुनाव जीतकर ये उत्तर प्रदेश ही नहीं देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं

Interesting News inextlive from Interesting News Desk

 

Interesting News inextlive from Interesting News Desk