कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। International Chess Day : शतरंज सिर्फ एक खेल नहीं है बल्कि यह स्ट्रैटजी मेकिंग स्किल्स को डेवलप करने के साथ विजुअल मेमोरी भी इम्प्रूव करता है। हर साल 20 जुलाई को इंटरनेशनल चेस डे सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन को सेलिब्रेट करने के पीछे का उद्देश्य लोगों में शतरंज खेलने के प्रति रुचि पैदा करना भी है। माना जाता है कि शतरंज के खेल की शुरुआत भारत में हुई थी। यह राजाओं के खेल के रूप में जाना जाता था। "चतुरंगा" नामक खेल लगभग 1500 वर्ष पहले खेला जाता था। यह खेल शतरंज के समान था। हालांकि बाद में समय के साथ यह दुनिया के अन्य देशों में पहुंचा। वर्तमान समय में शतरंज के खेल के लिए विश्व स्तर पर कई प्रकार के टूर्नामेंट आयोजित किये जाते हैं। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए शतरंज में कई बदलाव देखने को मिले और तमाम नियम आदि जोड़े गए।

इस गेम से सेल्फ कॉन्फिडेंस होता है डेवलप

आज के दाैर में बच्चों से लेकर बड़े तक सभी इस खेल को खेलना पसंद करते हैं। शतरंज खेलने से लोग समस्या का हल तेजी से ढूंढना सीख जाते हैं। शतरंज के खिलाड़ियों का आईक्यू लेवल दूसरों की तुलना में काफी फास्ट होता है। इस गेम से सेल्फकॉन्फिडेंस काफी ज्यादा होता है। यह स्ट्रैटजी मेकिंग स्किल्स को डेवलप करने के साथ विजुअल मेमोरी भी इम्प्रूव करता है। इसीलिए इस खेल को माइंड गेम के नाम से भी जाना जाता है।

प्यादे, घोड़े, ऊंट, हाथी, रानी और राजा

शतरंज की मोहरे छह प्रकार की होती हैं। इनमें प्यादे, घोड़े, ऊंट, हाथी, रानी और राजा हैं। दो लोगों के बीच में खेले जाने वाले शतरंज में सारा खेल उसकी मोहरों पर ही डिपेंड होता है। वहीं शतरंज में 40 खाने होते हैं और दोनों प्लेयर्स के पास 16 -16 यानी कि कुल 32 गोटियां होती हैं। इसमें 8 प्यादे, 2 घोड़ा, 2 हाथी, 2 ऊंट, 1 रानी एंव 1 राजा होते हैं। फिलहाल शतरंज में मौजूद चाैकोर खाने ब्लैक एंड व्हाइट कलर के होते हैं।

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