नई दिल्ली (पीटीआई)। सीबीआई ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पिछले दिनों प्रमुख गवाहों पर 'दबाव बनाने और प्रभावित करने' की कोशिश की थी। उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मजबूत मामला बनता है।

जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता

सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के एम नटराज ने एजेंसी द्वारा दायर किए गए जवाबी हलफनामे के प्रासंगिक अंश पढ़े और कहा कि चिदंबरम की याचिका में मेरिट नहीं है और जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता है। 74 वर्षीय चिदंबरम ने शीर्ष अदालत से यह कहते हुए जमानत मांगी कि सीबीआई उन्हें 'अपमानित' करने के लिए जेल में रखना चाहती है। चिदंबरम का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और एएम सिंघवी ने मंगलवार को अदालत में दलील दी थी कि वह 55 दिनों से हिरासत में हैं और पूर्व वित्त मंत्री या उनके परिवार के सदस्यों पर कभी किसी गवाह के पास जाने या उसे प्रभावित करने का प्रयास करने के आरोप नहीं हैं।

INX मीडिया केस : सुप्रीम कोर्ट ने पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका की खारिज

21 अगस्त को सीबीआई ने किया था गिरफ्तार

चिदंबरम को सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था और भ्रष्टाचार के मामले में तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में बंद हैं। वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये के विदेशी धन प्राप्त करने के लिए INX मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) की मंजूरी में अनियमितता का आरोप लगाते हुए CBI ने 15 मई, 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी। इसके बाद, ईडी ने 2017 में इस संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।

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