-राज्य में दो सालों में 18701 महिलाएं योजना से रही वंचित

-सेवा का अधिकार आयोग ने पाई योजना के क्रियान्वयन में खामियां

देहरादून, राज्य में हेल्थ डिपार्टमेंट के तहत चल रही जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) का महिलाओं को लाभ नहीं मिल पा रहा है. हालात यह है कि वर्ष 2017-18 व वर्ष 2018-19 में सरकारी हॉस्पिटल्स में 157836 डिलीवरीज हुई. लेकिन, 18701 महिलाओं को जेएसवाई का लाभ नहीं मिल पाया. यह योजना केंद्र सरकार मातृ मृत्यु दर (एमएमआरर) व शिशु मृत्यु दर (आईएमआरर) में कमी लाने के लिए एनएचएम के तहत पे्रगनेंट महिलाओं में इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी को प्रोत्साहित करने के लिए संचालित की जा रही है. योजना के तहत प्रेगनेंट ग्रामीण महिलाओं को 1400 व नगरीय महिलाओं काे एक हजार रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती है.

आयोग ने खुद लिया संज्ञान

लास्ट ईयर ज्वाइंट हॉस्पिटल रुड़की में पे्रगनेंट महिलाओं को योजना का लाभ न मिल पाने का मामला सामने आया था. सेवा का अधिकार आयोग ने खुद संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज कर सुनवाई शुरू की. आयोग ने मामला द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी यानी डीजी हेल्थ को सौंपा. आयोग के मुख्य आयुक्त आलोक कुमार को जानकारी मिली कि 284 महिलाओं को योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. आयाेग को राज्य के अन्य हिस्सों में भी इस तरह की गड़बड़ी की सूचना मिली.

डीबीटी से नहीं हुआ पेमेंट

आयोग को डीजी हेल्थ से जानकारी मिली कि वर्ष 2017-18 में 10.1 व वर्ष 2018-19 में 13.6 परसेंट महिलाओं को योजना का लाभ नहीं मिल पाया. आयोग के संज्ञान में आया कि राज्य में गर्भवती महिलाओं का मदर एंड चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम पोर्टल पर भी रजिस्ट्रेशन केवल 30-35 परसेंट ही हो पाता है. जबकि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के मुख्य आयुक्तों को कहा है कि जेएसवाई का पेमेंट डीबीटी से किया जाएगा. जिसके लिए एएनएम को आशा की मदद से लाभार्थियों के आधार संख्या व बैंक एकाउंट की डिटेल पोर्टल पर दर्ज करनी होती है. लेकिन, आयोग ने पाया कि जो महिलाएं योजना के लाभ से वंचित रहीं. उनके बैंक खाता संख्या व आधार संख्या प्राप्त नहीं सके.

बैठक के बाद भी असर नहीं

आयोग ने सुनवाई के क्रम में डीजी हेल्थ ने 20 अप्रैल 2019 को जेएसवाई योजना का मूल्यांकन व एक्टिवेशन कर ब्लॉक, डिस्ट्रिक्ट व स्टेट में कमेटीज के गठन के निर्देश दिए. इसके बाद 23 अप्रैल 2019 व 25 मई 2019 बैठकें हुई. जिसके तहत जेएसवाई व पोर्टल पर प्रेगनेंट महिलाओं के रजिस्ट्रेशन को बढ़ाए जाने का टारगेट रखा गया. आयोग का कहना है कि इसके बावजूद कुछ महीनों कोई प्रोग्रेस नहीं हुई. ऐसे में अब आयोग ने जेएसवाई के क्रियान्वयन का फैसला लिया है. जिससे जरूरतमंद महिलाओं को लाभ मिल सके.

प्रमुख बिन्दु

-वर्ष 2017-18 में वंचित रही महिलाओं की संख्या--8025.

-वर्ष 2018-19 में वंचित महिलाओं की संख्या--10676.

-वर्ष 2017-18 हॉस्पिटल्स में हुई डिलीवरी की संख्या--79487.

-वर्ष 2018-19 में हुई डिलीवरी की संख्या--78349.