-7वें वेतन आयोग में उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाने का आरोप

-रेल मंत्री के नाम मांग पत्र डीआरएम को सौंपा

CHAKRADHARPUR: दक्षिण पूर्व रेलवे इंजीनियर्स एसोसिएशन ने बुधवार को डीआरएम कार्यालय के पास असंतोष धरना-प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। इस संबध में एसोसिएशन के मंडल सचिव बीवीएसजेडी प्रसाद ने बताया कि कैसे जूनियर इंजीनियर (जेई) और सीनियर सेक्शन इंजीनियर(एसएसई) रेल गाडि़यों के सुरक्षित आवागमन के लिए चौबीसों घंटे बिना किसी भी विशिष्ट मुआवजा या भत्ते के काम करते हैं। रेल में किसी विफलता व असामान्य दुर्घटना के लिए केवल इंजीनियर्स को जिम्मेदार ठहराया जाता है। रेल परिचालन और सुरक्षा लिए पूरी तरह जिम्मेदार इंजीनियर्स के साथ रेलवे बोर्ड ने 7वें वेतन आयोग में उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाया है। बताया कि इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन के माध्यम से देशभर के 80 हजार इंजीनियर अपना अधिकार मंागने के लिए शंातिपूर्ण तरीके से असंतोष धरना प्रदर्शन किया है।

की नारेबाजी

असंतोष धरना प्रदर्शन करने के बाद इंजीनियर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने रेल प्रशासन की नीतीयों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए रैली निकाली। रैली रेलवे स्टेशन से होते हुए डीआरएम कार्यालय पहुंच कर समाप्त हुई। उसके बाद एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु के नाम का मांग पत्र डीआरएम राजेन्द्र प्रसाद को सौंपा।

ये हैं मांगें

-जस्टिस खन्ना कमेटी की अनुशंसा के अनुसार रेलवे इंजीनियर के संगठन अखिल भारतीय रेल अभियन्ता संघ को मान्यता दी जाए।

-जूनियर इंजीनियर (जेई) और सीनियर सेक्शन इंजीनियर (एसएसई) को दूसरे केन्द्रीय कर्मचारियों की तरह ग्रुप बी का दर्जा दी जाए।

-सभी जेई और एसएसई को तकनीकी भत्ता फ्0 प्रतिशत दी जाए।

-जेई को ग्रेड पे भ्ब्00 रुपए तथा तथा एसएसई को म्म्00 रुपये ग्रेड पे के समकक्ष लाया जाए।

-नई पेंशन नीति को समाप्त कर पुरानी पेंशन नीति को लागू की जाए।

-बीटेक डिग्री इंजीनियरों को पूरे कार्यकाल में प्रोन्नति के अवसर नहीं है। उन्हें प्रोन्नति के अवसर दी जाए।

इनकी रही मौजूदगी

एसोसिएशन के मंडल अध्यक्ष यूके सिंह, मंडल सचिव बीवीजेएसडी प्रसाद, उपाध्यक्ष दिलीप कुमार, चक्रधरपुर शाखा अध्यक्ष केके सिंह, टाटा शाखा अध्यक्ष गोपाल दास, एडवाइजर दिलीप कुमार, वीके पांडेय, एपी सिंह, ओमप्रकाश, गुरुचरण सिंह सहित टाटानगर, डांगुवापोसी, सीनी, बंडामुंडा, राउरकेला, झारसुगुडा एवं चक्रधरपुर स्टेशनों में कार्यरत जूनियर इंजीनियर (जेई) और सीनियर सेक्शन इंजीनियर (एसएसई) दर्जनों की संख्या में उपस्थित थे।