सेहत के लिए ठीक नहीं  
कोल्ड ड्रिंक की बोतल से भले ही ड्रिंक खत्म हो जाए, लेकिन बोतल अगले कई महीनों तक फ्रिज में मौजूद रहती है। पर क्या आपको पता है कि आपकी ये आदत सेहत के लिए कितनी खतरनाक साबित हो सकती है। एक्सपट्र्स का कहना है की पुराने बॉटल्स के लंबे समय तक इस्तेमाल से बैक्टिरिया और फंगस कंटैमिनेशन के साथ-साथ कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा हो सकता है।

Infections का खतरा
एक्सपट्र्स का कहना है कि इन बॉटल्स को एक बार ओपन करने के बाद उनमें बैक्टिरिया और फंगल ग्रो होने लगते हैं। प्रॉपर क्लीनिंग के बगैर अगर इन बॉटल्स का इस्तेमाल किया जाए, तो कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है। इसके अलावा पीईटी बॉटल्स के री यूज से उसमे रखे लिक्विड में प्लास्टिसाइजर्स और डायोक्सिन जैसे केमिकल्स के रिलीज होने का खतरा भी रहता है जो कि हेल्थ के लिए बेहद नुकसानदेह है।

पीईटी बोतल के यूज पर बैन की तैयारी
ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (डीटीबीए) ने हाल ही में ड्रग्स के पैकेजिंग के लिए पीईटी बॉटल्स के यूज पर रोक लगाने की सलाह दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडिया में टेंपरेचर में लार्ज वेरिएशन देखने को मिलता है। लोगों में इंडोक्राइन डिस्रपटर्स का एक्सपोजर बढ़ता जा रहा है। इसलिए जरूरी है कि लोगों को ड्रग पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले पीईटी बोतल के खतरों से बचाया जाए। प्लास्टिक बोतल में पाए जाने वाला बिस्फेनॉल ए (बीपीए) इंडोक्राइन डिसरप्शन की वजह बनता है। डीटीएबी की रिपोर्ट में भी इस मुद्दे को उठाया गया है। इंडोक्राइन डिसरप्टर्स वैसे केमिकल होते है जो शरीर के इंडोक्राइन सिस्टम के साथ इंटरफेयर कर ह्यïूमन्स के साथ-साथ जानवरों के भी डेवलपमेंटल, रिप्रोडक्टिव, न्यूरोलॉजिकल और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है। प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है।

'हमेशा अच्छी क्वालिटी के प्लास्टिक बोतल का यूज करें। रीयूज से पहलेे बोतल को प्रॉपर तरीके से साफ कर लें। किसी भी तरह की गंदगी होने पर गैस्ट्रोइंट्राइटिस समेत कई तरह की बीमारियों का खतरा होता है.'
-डॉ निर्मल कुमार, फिजिशियन,एमजीएम

'इन बॉटल्स में कई ऐसे केमिकल होते हैं जिससे किडनी पर असर के साथ ही कैंसर जैसी बीमारी का भी खतरा रहता है.'
-डॉ अशोक कुमार, फिजिशियन

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in