-उत्तर प्रदेश संघ में भागवत कथा का चौथा दिन

JAMSHEDPUR: मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल (एमएनपीएस) कैंपस में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन सोमवार को कथावाचक आचार्य राजकुमार बाजपेयी ने कहा कि भारतीय संस्कृति और धर्म का विश्वकोष है श्रीमद्भागवत। उन्होंने कहा कि जीव को जगदीश में समाहित करने के लिए भागवत का श्रवण जरूरी है। श्रीमद्भागवत भवसागर से जीव को तारकर श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप के दर्शन कराती है। भागवत को आत्मसात करने से ही भारतीय संस्कृति की रक्षा हो सकती है। वसुधैव कुटुंबकम् की परिकल्पना भागवत को आत्मसात करने से ही साकार की जा सकती है। निष्काम कर्म, ज्ञान-साधना, सिद्धि, भक्ति, अनुग्रह, मर्यादा, निर्गुण-सगुण तथा व्यक्त-अव्यक्त रहस्यों से श्रीमद्भागवत जीव का परिचय कराती है। उन्होंने सच्चे संत के लक्षणों से भी श्रद्धालुओं को अवगत कराते हुए कहा कि जिसकी शरण में जाने से शांति और सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है वही सच्चा संत है। गुरु के चरण चिन्ह दहलीज पर लेना चाहिए, इससे सद्गुणों के साथ-साथ लक्ष्मी का आगमन होता है। भगवान को कहीं खोजने की जरूरत नहीं, वह हम सब के हृदय में मौजूद हैं। अगर जरूरत है तो सिर्फ महसूस करने की और जिस दिन हमारा मन भगवान की सच्ची भक्ति में लग जाएगा उसी दिन से हमें भगवान की उपस्थिति महसूस होने लगेगी। भागवत कथा को मन, कर्म और वचन से श्रवण करना उसी सच्ची भक्ति का सबसे बड़ा मार्ग है। कथा के दौरान डॉ। डीपी शुक्ल, रामफल मिश्रा, एके पांडेय, केपी सिंह, बीएन दुबे सहित उत्तर प्रदेश संघ की कार्यकारिणी के तमाम सदस्य मौजूद थे।