-एमएनपीएस में भागवत कथा का दूसरा दिन

JAMSHEDPUR: उत्तर प्रदेश संघ की सांस्कृतिक समिति के तत्वावधान में मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार को कथावाचक आचार्य राजकुमार बाजपेयी ने बताया कि गंभीरता और मौन दो ऐसे मंत्र हैं जिनके द्वारा हर समस्या का सामना किया जा सकता है। क्रोध पहले स्वयं की हानि करता है, फिर दूसरों की। सदा प्रसन्न रहना ही हमारे शत्रुओं के लिए सबसे बड़ी सजा है। किसी को कष्ट पहुंचा कर क्षमा मांग लेना बहुत आसान है, लेकिन खुद चोट खाकर किसी को माफ कर पाना बहुत कठिन है।

चुनौतियां स्वीकारें

आचार्य बाजपेयी ने कहा कि हमारा व्यक्तित्व हमें दूसरों से अलग बना सकता है, मगर हमारा अंहकार हमें दूसरों से अलग कर देता है। जीवन में अधिक रिश्ते होना महत्वपूर्ण नहीं मगर रिश्तों में अधिक जीवन होना जरूरी है। अच्छे लोगों का संपर्क मिलना हमारा भाग्य है, लेकिन उन्हें संभालकर रखना हमारा हुनर है। आपकी दृष्टि भली होगी तो आपको दुनिया अच्छी लगेगी, यदि आपकी जबान अच्छी होगी तो आप दुनिया को अच्छे लगेंगे। यदि आप सही हैं तो गुस्सा करने की जरूरत नहीं और यदि आप गलत हैं तो गुस्सा करने का आपको अधिकार नहीं। जीवन में चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए तो समर्पण को खर्च करना होगा। विश्वास चाहिए तो निष्ठा खर्च करनी होगी, साथ चाहिए तो समय खर्च करना होगा। जो भाग्य में है वो कहीं से भी आएगा। पानी मर्यादा तोड़े तो विनाश और वाणी मर्यादा तोड़े तो सर्वनाश। जो आप पर विश्वास करे उससे झूठ मत बोलो और जो आपसे झूठ बोले उस पर विश्वास मत करो। कथा के दौरान आरपी त्यागी, डॉ। डीपी शुक्ल, रामफल मिश्रा, एके पांडेय, केपी सिंह, बीएन दुबे सहित उत्तर प्रदेश संघ की कार्यकारिणी के तमाम सदस्य मौजूद थे।