-हॉस्पिटल कैंपस में खुले में फेंका जा रहा है बायो मेडिकल वेस्ट

-एमजीएम फैला रहा बच्चों में बायो मेडिकल वेस्टेज का जहर

-इंफेक्शन के खतरे से अनजान बच्चे चुन रहे बायो मेडिकल वेस्ट

abhishek.piyush@inext.co.in

JAMSHEDPUR: कोल्हान के सबसे बड़े गर्वमेंट हॉस्पिटल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल मैनेजमेंट सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। हॉस्पिटल कैंपस में खुलेआम बायोमेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट को तनिक भी रूल्स की चिंता नहीं है। हॉस्पिटल कैंपस में फेंके गए बायो मेडिकल वेस्ट की जद में मरीजों और उनके अटेंडेंट के साथ ही साथ आस-पास की बस्तियों में रहने वाले मासूम बच्चे भी आ रहे हैं। बस्ती के बच्चे गुलेल बनाने के लिए रबर की तलाश में हॉस्पिटल कैंपस में फेंके गए यूरीन पाइप चुन कर अपने साथ ले जा रहे हैं। एमजीएम हॉस्पिटल सुपरिंटेंडेंट डॉ। विजय शंकर दास से जब इस बावत आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने जवाब मांगा तो उन्होंने बच्चों के पैरेंट्स की लापरवाही को दर्शाते हुए बच्चों को खुले में छोड़ देने पर आपत्ति जाहिर की।

इंफेक्शन का खतरा

एमजीएम हॉस्पिटल कैंपस में फेंका गया बायो मेडिकल वेस्ट आस-पास के बस्तियों में रहने वाले छोटे और मासूम बच्चों की जिन्दगी में खतरनाक इंफेक्शन का जहर घोल रहा है। दरअसल हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड के बगल की दीवार टूट जाने के कारण हॉस्पिटल के आस-पास स्थित बस्तियों में रहने वाले बच्चें टूटी हुई दीवार के रास्ते हॉस्पिटल कैंपस में प्रवेश कर रहे हैं और हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड से महज ख्0 मीटर की दूरी पर स्थित मार्ग रूम के पास फेंके गए बायो मेडिकल वेस्ट में से यूरीन पाइप, बल्ड व पानी चढ़ाने वाले पाइप आदि चुन कर अपने साथ ले जा रहे हैं। इतना ही नहीं खतरनाक संक्रमित बीमारियों से अंजान ये बच्चे यूरीन पाइप के रबर की नली को साफ कर इसका इस्तेमाल गुलेल आदि बनाने के लिए कर रहे हैं।

इंसीनरेटर की चिमनी नहीं कर काम

एमजीएम हॉस्पिटल में बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोजल करने वाले इंसीनरेटर मशीन की चिमनी दो-तीन वर्षो से खराब है। इस कारण इंसीनरेटर मशीन के अंदर बायो मेडिकल वेस्ट को जलाने पर चिमनी से जिस ऊंचाई पर धुआं निकलना चाहिए वो नहीं निकल रहा है। इस कारण पहले तो बायो मेडिकल वेस्ट को हॉस्पिटल कैंपस में खुले में जलाया जा रहा था।

म्क् लाख का फंड

स्वास्थ विभाग की ओर से एमजीएम हॉस्पिटल में खराब पड़े इंसीनरेटर मशीन की जगह नई मशीन लगाने को लेकर म्क् लाख रुपए का फंड निर्गत किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एमजीएम हॉस्पिटल का नया इंसीनरेटर मशीन साकची ब्लड बैंक स्थित एएनएम हॉस्टल के पास लगेगा। इसके लिए ई-टेंडर की प्रक्रिया निकाली गई है।

बायो मेडिकल बेस्ट नुकसान

-वेक्टर्स (मक्खी, मच्छर, सहित अन्य कीड़े-मकोड़े) के जरिए हॉस्पिटल आने वाले तथा आस-पास के लोगों में गंभीर इंफेक्शन वाली बीमारियों के फैलने का खतरा रहता है।

-संक्रमित बीमारियों वाले पेशेंट्स के इस्तेमाल में लायी गयी निडिल, ब्लेड से इंज्यूरी होने तथा उसके संपर्क में आने से जानलेवा बीमारी का खतरा रहता है।

-हाइोडर्मिक निडिल्स, ट्यूब्स, ब्लेड्स बॉल्टस जैसी डिस्पोजेबल वस्तुओं से इंफेक्शन का खतरा रहता है।

-डिस्कार्डेड मेडिसिन्स के यूज से रिएक्शन का खतरा बना रहता है।

-कई केमिकल और फार्मास्यूटिकल ड्रग्स हर्जाडस होते हैं। इनसे इनटॉक्सिकेशन का खतरा रहता है।

पांच साल तक की जेल

बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल में लापरवाही बरतने पर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है। एन्वायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट-क्98म् के अनुसार आरोपियों पर पांच साल तक का कैद और एक लाख रुपए फाइन या फिर दोनों सजा एक साथ देने का प्रावधान है।

एमजीएम सुपरिंटेंडटें से सीधी बात

आई नेक्स्ट : इंसीनरेटर मशिन के लिए स्वास्थ विभाग की ओर से फंड निर्गत हुआ, लेकिन अभी तक काम चालू नहीं हुआ है?

सुपरिंटेंडेंट : हां कुछ फंड आया है। इसी में इंसीनेटर मशीन भी लगानी है। इंसीनेटर के लिए ई-टेंडर की प्रक्रिया जारी है।

आई नेक्स्ट : हॉस्पिटल कैंपस में बायो मेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है। इससे निजात कब मिलेगी?

सुपरिंटेंडेंट : मार्ग रूम के पास बायो मेडिकल वेस्ट को एक जगह कलेक्ट किया जाता है। इंसीनरेटर मशीन के लगते ही इससे पूरी तरह निजात मिल जाएगी।

आई नेक्स्ट : इमरजेंसी के पास टूटी हुई दीवार से आस-पास की बस्तियों में रहने वाले छोटे बच्चे अंदर प्रवेश कर बायो मेडिकल वेस्ट को चुनकर ले जा रहे हैं? ये बच्चों के स्वास्थ के लिए कितना खतरनाक है?

सुपरिंटेंडेंट : बायो मेडिकल वेस्ट के संपर्क में आने वाले किसी भी व्यक्ति को खतरनाक इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। हॉस्पिटल के अंदर आने वाले बच्चों के पैरेंट्स को ध्यान देने की जरूरत है। मैंने दीवार बनाने का निर्देश दे दिया है।