JAMSHEDPUR: डेंगू के मरीजों की जान बचाने के लिए जरूरी प्लेटलेट्स अब एमजीएम अस्पताल में ही बनेंगे। इसके लिए एमजीएम अस्पताल के ब्लड बैंक में सेपरेटर समेत सभी जरूरी मशीनें मंगा ली गई हैं। प्लेटलेट्स समेत खून से प्लाज्मा, आरबीसी, डब्ल्यूबीसी आदि बनाने का लाइसेंस हासिल करने के लिए ब्लड बैंक ने 24 मार्च को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को ऑनलाइन आवेदन भेज दिया है। माना जा रहा है कि लाइसेंस मिल गया तो जून तक एमजीएम अस्पताल में प्लेटलेट्स का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा।

ट्रेनिंग लेकर लौटे

ब्लड बैंक में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट (बीसीएसयू) अधिष्ठापित कर दी गई है। एक चिकित्साधिकारी और दो टेक्नीशियन रांची से इसकी ट्रेनिंग लेकर वापस आ गए हैं। एक या दो महीने बाद नेशनल ब्लड ट्रांस फ्यूजन काउंसिल की टीम आकर बीसीएसयू का जायजा लेगी। उसकी हरी झंडी के बाद ही प्लेटलेट्स समेत रक्त के अन्य अवयवों का निर्माण शुरू हो जाएगा। एमजीएम अस्पताल में प्लेटलेट्स का निर्माण नहीं होने से अभी तक इसे बाहर से मंगाया जाता रहा है। लेकिन, अब ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स बनाने के लिए सेपरेटर मशीन कई महीना पहले ही खरीद ली गई थी। इसके अलावा, डिजिटल ब्लड सेल काउंटर, सेल सेपरेटर, प्लाज्मा सेपरेटर, डीप फ्रीजर, स्टोरेज फ्रीजर, सेंटीफ्यूग काउंटर बैलेंस, सेल कंट्रोलर आदि मशीनें भी खरीदी गई हैं।

खरीदी जाएंगी छोटी मशीनें

ब्लड बैंक के डॉ बीके गुप्ता बताते हैं कि ब्लड से प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, आदि बनाने के लिए सेपरेटर समेत अन्य बड़ी मशीनें तो खरीद ली गई हैं। लेकिन, अभी कुछ छोटी मशीनें आना बाकी हैं। इन मशीनों में प्लेटलेट्स थाइंग मशीन, इलेक्ट्रानिक बैलेंस आदि शामिल हैं। इसके अलावा, 18 फीट लंबा व तीन फीट चौड़ा एक सेल्फ और उसके नीचे कैबिनेट बनना है। साथ ही, सेपरेटर चलाने के लिए जरूरी नियम है कि भवन में अंडरग्राउंड वाय¨रग हो। अभी ब्लड बैंक में खुली वाय¨रग है। इससे सेंट्रीफ्यूग ऑन करते ही बिजली ट्रिप हो जाती है। अंडरग्राउंड वाय¨रग के लिए भी जल्द ही टेंडर होने वाला है।

रोज बनेंगे 400 यूनिट प्लेटलेट्स

डेंगू के फैलाव के दिनों में एक दिन में शहर को कम से कम 200 यूनिट प्लेटलेट्स चाहिए। इसलिए, एमजीएम अस्पताल के ब्लड बैंक में रोज कम से कम 300 यूनिट से 400 यूनिट प्लेटलेट्स बनाए जाएंगे। ब्लड बैंक के डाक्टर बीके गुप्ता ने बताया कि प्लेटलेट्स ताजे खून से ही बनाए जाते हैं। इसलिए, इसका निर्माण रक्तदाताओं पर निर्भर करेगा।

अफ्रेसिस मशीन अगले साल तक

एमजीएम ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स समेत खून के सभी अवयवों को अलग करने का काम शुरू होने के बाद जल्द ही इसे हाईटेक किया जाएगा। इसके लिए यहां अफ्रेसिस मशीन लगाने की योजना है। अफ्रेसिस मशीन आ जाने के बाद सीधे रक्तदाता के शरीर से जरूरत के अनुसार प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, आरबीसी और डब्ल्यूबीसी सीधे निकाला जा सकेगा। इससे रक्तदाता का खून निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। डा। बीके गुप्ता ने बताया कि अभी पांच रक्तदाता के खून को मिलाकर प्लेटलेट्स निकाली जाएगी। लेकिन, अफ्रेसिस मशीन आने पर एक रक्तदाता से ही जरूरी प्लेटलेट्स निकल आएंगी।