-एसएसपी की अनुशंसा को डीसी ने दी मंजूरी

JAMSHEDPUR: घाघीडीह सेंट्रल जेल में बंद कई संगीन आपराधिक मामलों के आरोपी अखिलेश सिंह पर अपराध नियंत्रण अधिनियम (सीसीए) के तहत कार्रवाई की गई। इसके लिए एसएसपी अमोल वी होमकर ने डीसी अमिताभ कौशल को सोमवार को अनुशंसा की थी। डीसी ने इसे मंजूरी दे दी। सोमवार की रात में ही जेल प्रशासन को सीसीए लगने की कार्रवाई से अवगत करा दिया। इसके साथ ही जेल से निकलने की मंशा अखिलेश सिंह की पूरी नहीं हो पाई। रिहाई को लेकर उसके सहयोगी और समर्थक सोमवार से जश्न की तैयारी में लगे थे। इस पर कानूनी कार्रवाई ने फिलहाल ब्रेक लगा दी। कार्रवाई के तहत अखिलेश सिंह को एक वर्ष तक जेल में रहना पड़ सकता है। एसएसपी ने बताया कि आरोपी पर सीसीए के तहत कार्रवाई की गई है।

चार मामलों में मिली थी जमानत

अखिलेश सिंह को हाईकोर्ट से पूर्व जज आरपी रवि पर फाय¨रग, जेल से मोबाइल सिम बरामद होने, कांग्रेसी नेता नट्टू झा पर फाय¨रग समेत चार मामले में जमानत मिली थी। इसके बाद उसका बेल बांड भरा गया था। अखिलेश सिंह को जेलर उमाशंकर पांडेय की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा फ् जनवरी ख्00म् को सुनाई गई थी। इस मामले में उसे झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिली थी। ख्007 में वह पे रोल पर रिहा हुआ था।

ख्0क्क् में नोएडा से दबोचा गया था

अखिलेश सिंह को कोल्हान के तत्कालीन डीआइजी नवीन कुमार सिंह की सूचना पर पुलिस टीम ने नोएडा से सहयोगी अमित कुमार सिंह के साथ ख्9 दिसंबर ख्0क्क् को दबोचा था। उसे पुलिस टीम ने कई दिन तक रिमांड पर रखकर पूछताछ की थी। सिदगोड़ा थाना के क्रास रोड नंबर ख्8 के निवासी अखिलेश कुमार सिंह के खिलाफ ब्8 आपराधिक मामले दर्ज है। इनमें वाहन चोरी, फाय¨रग, आ‌र्म्स एक्ट, रंगदारी, हत्या, अपहरण समेत धोखाधड़ी मामले में भी आरोि1पत हैं।

क्या हैं सीसीए लगाने के प्रावधान

कानून के जानकारों के मुताबिक सीसीए लगाने की प्रक्रिया काफी लंबी है। पुलिस पर गलत ढंग से सीसीए लगाए जाने के आरोप भी लगते हैं सीसीए लगाने के पुलिस को संबंधित व्यक्ति के आपराधिक रिकार्ड, तीन साल की समय अवधि के आपराधिक वारदात, क्राइम नेचर एवं विधि व्यवस्था को वह कितना प्रभावित करता रहा है इन सभी का आकलन करना पड़ता है। अगर इन किसी में एक भी विंदु सही रूप से आकलन नहीं किया गया तो सीसीए नहीं टिक पाता। सीसीए लगाने की अनुशंसा के लिए आपराधी के खिलाफ तीन स्टेशन डायरी, हत्या, दहशत, रंगदारी समेत अन्य आपराधिक मामले दर्ज होने चाहिए और सभी तीन वर्ष के भीतर के होने चाहिए। अपराधी विधि व्यवस्था को कितनी प्रभावित करता रहा है इस विंदु को भी शामिल किया जाता है। जेल में बंद अपराधी पर सीसीए लगाने में भी पुलिस को साक्ष्य कई कानूनी साक्ष्य प्रस्तुत करने पड़ते हैं।