JAMSHEDPUR: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत एक अप्रैल से लागू ई- वे बिल को लेकर विरोध शुरू हो गया है। इसी कड़ी में गुरुवार को सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री ने बिष्टुपुर स्थित राज्य कर भवन के समक्ष प्रदर्शन किया। चैंबर ने राज्य कर आयुक्त केके खंडेलवाल के नाम संयुक्त आयुक्त संजय प्रसाद को ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया है कि बिहार में ई-वे बिल पर दो लाख रुपये की छूट है, तो झारखंड में 50,000 रुपये की छूट क्यों दी गई है। इसके अलावा इंट्रास्टेट ई-वे बिल पर न्यूनतम 25 किलोमीटर की छूट मिलनी चाहिए, लेकिन अभी यहां दूरी का निर्धारण ही नहीं है।

यह व्यवहारिक नहीं

चैंबर के अध्यक्ष अशोक भालोटिया ने कहा कि बगल के दुकान में भी माल भेजने के लिए ई-वे बिल चाहिए, यह व्यवहारिक नहीं है। यही नहीं, एक ट्रक में यदि 50 तरह के माल हैं, तो सबके लिए अलग-अलग ई-वे बिल निकालना होगा। मल्टीपल इन्वायस क्यों नहीं हो सकता, वैट में यह प्रावधान था। इसके प्रावधानों में लॉरी या ट्रक रसीद संख्या सुधारने या बदलने का कोई प्रावधान नहीं है। यदि ट्रक बीच रास्ते में खराब हो गया, तो व्यापारी दूसरे वाहन से माल ढो नहीं सकेगा। इससे भी बने बात कि इंट्रास्टेट ई-वे बिल निर्गत करने वाले अंतिम फार्म में जीएसटी नंबर भरने का कालम ही नहीं दिया गया है। इसके अलावा सिंहभूम चैंबर ने एक अलग ज्ञापन दिया है, जिसमें विभाग से कारोबारियों के लिए प्रत्येक सप्ताह जीएसटी हेल्पडेस्क चालू करने की मांग की गई है। इस मौके पर सिंहभूम चैंबर के पूर्व अध्यक्ष सुरेश सोंथालिया, महासचिव विजय आनंद मूनका, उपाध्यक्ष भरत वसानी, दिनेश चौधरी, राजीव अग्रवाल, सत्यनारायण अग्रवाल आदि उपस्थित थे।