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छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र (04 न्श्चह्मद्बद्य) : को-ऑपरेटिव कॉलेज में इन दिनों लाखों रुपए की किताबें सड़ रही हैं। इसे देखने वाला कोई नहीं है। दूसरी ओर किताबों की खरीदी की जा रही है। पहले से किताब घोटाले पर छात्र संघ तथा कॉलेज प्रशासन के बीच ठनी हुई है। लाईब्रेरी में चार स्टाफ होने के बावजूद है, किताबों की रख रखाव सही ढंग से नही होता है, लाईब्रेरी के सारे किताब लगभग सड़ रहे हैं, कॉलेज द्वारा पांच लाख की किताब खरीदी गई है, किताबों की खरीदी कर उसे भी ऐसे ही जमीन पर दिया है, वहां के छात्रों की माने ऐसे इन किताबों का भी कुछ दिन बाद ऐसा ही हाल होगा।

गुमनाम कमरे में 46 लाख की किताब

टीएसवीपी के नेता तथा कॉलेज छात्र अखिल कुमार ने आरोप लगाया कि कॉलेज के किसी गुमनाम कमरे 46 लाख की किताबें सड़ रही हैं। इसी किताब घोटाले संबंध में 2014 को कॉ-ऑपरेटिव के पूर्व प्राचार्य को दोषी करार दे कर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था और बाकी दोषियों को छोड़ दिया गया था। आज भी सरकार का लाखो रुपए बर्बाद कर किताबों को एक बंद कमरे में सड़ाया जा रहा है ताकि दोषियों को बचाया जा सके।

अगर किताबों का रख रखाव सही तरीके से नहीं हो रहा तो मैं खुद जाकर इसे देखूंगा। मैं अभी प्रभारी प्रचार्य के रूप में कार्यरत हूं। सारी चीजों को सही करने के लिए मुझे चार पांच दिनों का वक्त चाहिए।

वीके सिंह, प्रभारी प्रचार्य, कॉ ऑपरेटिव कॉलेज