- 60 फीसद का निस्तारण, 40 फीसद फेंका जाता जहां-तहां

छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : जिले में छोटे-मोटे कुल मिलाकर करीब 50 अस्पताल हैं। इसमें कोल्हान के सबसे बड़े महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल हॉस्पीटल, टाटा मेंस हॉस्पीटल, टिनप्लेट हॉस्पीटल, मर्सी, ब्रह्मानंद नारायणा सहित अन्य नर्सिग होम शामिल है। वहीं करीब 100 से अधिक पैथोलॉजी व क्लिनिक है। इन सभी से एक अनुमान के मुताबिक करीब चार क्विंटल से अधिक बायो वेस्ट निकलता है। लेकिन जानकारों का मानना है कि इसके डिस्पोजल की व्यवस्था कहीं पर भी नहीं है। इस कारण अस्पताल परिसर, सड़के, नाली, नदी सहित अन्य स्थानों पर जहां-तहां कचरा फेंक दिया जा रहा है। इससे जानलेवा बीमारियां पनपने की संभावना दोगुना बढ़ गयी है। आम लोग तो संक्रमित हो ही रहे हैं, यहां तक कि इसके संपर्क में आने से जानवर भी मार जाते हैं।

एमजीएम भी पीछे नहीं

एमजीएम अस्पताल का आंकड़ा देखा जाए तो यहां से रोजाना 50-60 किलोग्राम बायो मेडिकल वेस्ट निकलता है। लेकिन इसमें से सिर्फ 60 फीसदी ही इंसीनिरेटर में जलाया जाता है। बाकि 40 फीसद जहां-तहां फेकना मजबूरी है। कारण कि इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं है। एक कर्मचारी ने बताया कि नियमत: मेडिकल वेस्ट कचरा को तीन तरह से निस्तारण किया जाना है। इसमें इंसीनिरेटर, वाटर ट्रीटमेंट व कुछ हिस्सों को जमीन में गाड़ा जाता है। लेकिन वाटर ट्रीटमेंट व जमीन में गाड़ने की व्यवस्था कहीं नहीं है। जिसके कारण वह भी जहां-तहां फेंकने को मजबूर है। एमजीएम अस्पताल में वाटर ट्रीटमेंट की व्यवस्था नहीं होने के कारण ऑपरेशन थियेटर से निकलने वाले दूषित पानी सीधे नाला और नदियों में जा रही है। इससे पानी भी प्रदूषित हो रहा है।

एक दर्जन मुहल्ले की हालत है खराब

एमजीएम हॉस्पीटल के चारों तरफ एक दर्जन से अधिक मुहल्ले और घनी आबादी सहित सैकड़ों अपार्टमेंट में हजारों लोग रह रहे है। उन्हें 24 आवर बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट के धुएं की चपेट में रहना पड़ रहा है। हॉस्पिटल से लेकर स्कूल के बच्चों तक को इसमें रहना मजबूरी बन गया है। इंसीनिरेटर के धुएं से सो किमी की आबादी इफेक्टेड होती है। लेकिन जो नजदीक में है। उस पर इसका असर अधिक दिखने लगता है। अगर लापरवाही का ही हाल रहा तो कैंसर का खतरा भी बन सकता है। एमजीएम अस्पताल में इंसीनिरेटर बीते पांच वर्षो से लीक हो रहा है। इंसीनिरेटर में मेडिकल वेस्ट को 900-1100 तापमान पर जलाया जाता है, लेकिन यहां पर खराब होने के कारण 300 तापमान पर ही जलाया जा रहा है। जिससे निकलने वाला धुआं आस-पास के लोगों के लिए खतरा हना हुआ है।

रिसाइकिल की व्यवस्था नहीं

एमजीएम हॉस्पीटल के कुछ ही वार्डो में कैटेगरी मैंटेन किया जाता है। बाकि वार्डो में जैसे-तैसे कचरा रखा जाता है। हर कैटेगरी के वेस्ट को अलग-अलग किया जाना जरुरी है। ताकि इसको रिसाइकिल किया जा सके, लेकिन अस्पताल ऐसा नहीं करते।

वर्जन

वाटर ट्रीटमेंट व गाड़ने की व्यवस्था नहीं है। हालांकि हमारे ओर से सारा प्रस्ताव तैयार कर विभाग को सौंपा गया है। उ मीद है कि जल्द ही सभी व्यवस्था पूरी कर ली जाएगी।

- डॉ। आरवाई चौधरी, सुपरीटेंडेंट, एमजीएम हॉस्पीटल

बायो वेस्ट निस्तारण की पूरी व्यवस्था किसी भी अस्पताल में नहीं है। इंसीनिरेटर छोड़ वाटर ट्रीटमेंट व जमीन में गाड़ने की व्यवस्था कहीं नहीं है। जल्द अभियान की शुरूआत होगी।

- मनोज मिश्रा, संगठन प्रमुख, जेएचआरसी