मैरिज रजिस्ट्रार ऑफिस और सिटी के पंडितों से मिले आंकड़े यही कहानी बयां कर रहे हैं। साइकोलाजिस्ट्स के मुताबिक यूथ पहले कुछ अर्न करना चाहते हैं, ताकि अपनी फैमिली को सपोर्ट कर सकें।

75 परसेंट marriage 30 के बाद
सिटी में पिछले कुछ सालों में लेट मैरिजेज की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है। ज्योतिष और साकची काली माता मंदिर के मेन पुजारी प्रकाश कुमार पांडे का मानना है कि आजकल करीब 75 परसेंट मैरिज 30 साल के बाद होती हैं। साइकोलॉस्टि के मुताबिक आजकल के ज्यादातर यूथ कैरियर बनाने के चक्कर में मैरिज टाल देते हैं। एमजीएम के साइकियाट्रिस्ट डॉ दीपक गिरि का मानना है कि यूथ समझते हैं कि शादी कैरियर में आड़े आती है। अगर एक बार शादी हो जाए तो कोई अपने कैरियर पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाता.डॉ गिरि का मानना है कि कई मायनों में ये परसेप्शन सही भी है और गलत भी। क्योंकि अगर शादी हो जाए तो रिस्पांसिबिलिटीज बढ़ जाती हैं। ऐसे में आपको दूसरी चीजों के लिए ज्यादा टाइम नहीं मिल पाता। पर अगर आप हर चीज के लिए एक पर्टिकुलर स्पेस डिसाइड करके चलें तो चीजें काफी इजी हो जाती हैं। सिटी के मैरिज रजिस्ट्रार आरके तिवारी का भी मानना है कि कैरियर पर ध्यान देने के चलते ज्यादातर मैरिज लेट एज में होती है। कई लोग ऐसे भी हैं जो इकोनॉमिकल कंडीशन के सपोर्टिव नहीं होने के चलते भी लेट मैरिज करते हैं।

बच्चे पर पड़ता बुरा असर
डॉ गिरि का कहना है कि लेट मैरिज होने से चाइल्ड के एबनॉर्मल होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। अर्ली मैरिज रेसियो के दिनों-दिन घटने का एक सबसे बड़ा रीजन सोसाइटी में ज्वाइंट फैमिली कल्चर का डे बाई डे कम होना भी है। साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक ज्वाइंट फैमिलीज में हेल्दी एटमॉस्फेयर मिलता है। इसमें सोसाइटी के तमाम कस्टम और कल्चर के बारे में इंफॉर्मेशन मिलती है। पर दिनों-दिन सेपरेट फैमिलीज का कल्चर बढ़ता जा रहा है। इसमें बच्चों को कस्टम्स और कल्चर के बारे में उनकी इन्फॉर्मेशन नहीं रहती। इसका नतीजा लेट मैरिज के रूप में सामने आता है।

 

'ज्यादातर लेट मैरेजेज के पीछे फाइनांशियल कंडीशन वीक होना भी एक बड़ा रीजन है। आज के यूथ चाहते हैैं कि मैरिज से पहले उनकी अपनी कैपिटल हो, जिससे उन्हें फैमिली को लीड करने में प्रॉब्लम नहीं आए.'
डॉ निधि श्रीवास्तव, साइकोलॉजिस्ट

'लेट मैरिज होने से बच्चे का डेवलपमेंट प्रॉपर वे में नहीं हो पाता। लेट मैरिज का एक एडवांटेज ये है कि आपकी अंडरस्टैंडिंग काफी डेवलप हो जाती है.'
दीपक गिरि, साइकियाट्रिस्ट एमजीएम

Report by: rajnish.tiwari@inext.co.in