abhishek.piyush@inext.co.in

JAMSHEDPUR: ख्क् सितंबर को चाईबासा के हाट गम्हरिया में हुए बस हादसे में मारे गये क्फ् में से भ् मृतकों का दाह संस्कार अब होगा। इनकी डीएनए जांच रिपोर्ट मंगलवार को महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) कॉलेज व हॉस्पिटल के पोस्टमार्टम हाउस पहुंची। मृतकों के परिजनों को पोस्टमार्टम हाउस पहुंचकर शव को लेने की जानकारी दी गई। हादसे के शिकार इन पांच मृतकों के शव इस कदर जल चुके थे कि इनकी शिनाख्त परिजन भी नहीं कर पाए। प्रशासन ने मृतकों के शव का डीएनए रिपोर्ट आने तक उनके परिजनों को प्रतिक्षा में रहने का आदेश जारी कर दिया गया। प्रशासन ने पांचों मृतकों के परिजनों का ब्लड सैंपल लेकर उसे डीएनए टेस्ट के लिए रांची स्थित फॉरेंसिस लेब भेजवा दिया था।

हादसे में बुरी तरह जल कर मारे गये भ् मृतकों में जमशेदपुर के सीतारामडेरा थाना क्षेत्र स्थित छायानगर निवासी एवं मां पार्वती बस के ड्राइवर रामचंदर शर्मा (ब्म्), चाईबासा के कुमारडुंगी थाना क्षेत्र स्थित दूधजुड़ी निवासी एवं तमन्ना बस के ड्राइवर शलेन्द्र गगराई (ख्क्) चाईबासा के हाट गम्हरिया थाना क्षेत्र स्थित नूरदा गांव निवासी उर्मिला सिंकू (ख्0) एवं उनकी म् माह की पुत्री नीलम सिंकू, चाईबासा के मूखसिल थाना क्षेत्र स्थित तांबो गांव निवासी सिना पिंगुआ शामिल हैं।

दो माह से चार घरों में नहीं जला चूल्हा

हाट गम्हरिया में हुए दर्दनाक बस हादसे में बुरी तरह जल कर मारे गये भ् मृतकों के घर में पूरे ख् माह और ख् दिन से चूल्हा नहीं जला है। हिंदू रिती रिवाज में मृत्यु के बाद दाह संस्कार के पहले चूल्हा नहीं जलने की परंपरा के कारण इन मृतकों के घर में चूल्हा नहीं जल पाया है। इसके बाद से मृतकों के परिजनों के घर में आस-पड़ोस में रहने वाले बस्तिवासियों और गांव वालों के यहां से खाने के लिए बिना हल्दी और तेल का खाना आता रहा। जिससे इनके परिवार का पेट पलता रहा।

रामचंदर के घर में तैयार है अर्थी

सीतारामडेरा थाना क्षेत्र के छायानगर निवासी एवं मां पार्वती बस के ड्राइवर मृतक रामचंदर शर्मा की मौत की सूचना के बाद उनके परिजनों ने मृतक के दाह संस्कार के लिए अर्थी तैयार की थी। शव की शिनाख्त नहीं होने के बाद तैयार अर्थी उसी तरह घर पर पड़ी रही। मृतक के पिता नारायण शर्मा ने बताया कि उनके बेटे के लिए तैयार की गई अभी भी घर पर उसी तरह तैयार पड़ी है। अब जाकर उनके बेटे के शव का दाह संस्कार हो पायेगा, जिससे उसकी आत्मा को शांति पहुंचेगी।

प्रशासन द्वारा जांच में देरी किए जाने के कारण घर वालों को काफी परेशानी हुई। हिंदू रीति-रिवाज के कारण घर में आज तक चूल्हा नहीं जला। कुछ दिन तक बस्ती वालों ने खाना बनाकर भेजा, लेकिन हर महीने कौन सबका बोझ उठाता। मेरी बेटी पास में रहती है। इसलिए इतने दिनों तक गुजारा हो पाया।

-नारायण शर्मा, पिता, मृतक रामचंदर शर्मा।

घर पर इकलौता बेटा ही कमाने वाला था। उसके मरने के बाद भी उसकी आत्मा की शांति के लिए दाह संस्कार करने में इतना समय लग गया। दो माह से घर में चूल्हा तक नहीं जला। गांव वालों ने घर में दो माह तक बिना तेल हल्दी का बना हुआ खाना पहुंचाया।

-गुरुचरण गगराई। पिता, मृतक शलेन्द्र गगराई।

मेरी पत्नी और बेटी दोनों ही हादसे में बुरी तरह जल कर मारे गए। पहचान नहीं होने की वजह से ना ही दाह संस्कार हो पाया और जब तक दाह संस्कार नहीं होगा हमारे यहां चूल्हा नहीं जलता है। गांव होने के कारण गांव वालों ने खाना बनाकर गुजारा चला दिया।

-पांडू सिंकू, परिजन, मृतक उर्मिला सिंकू व नीलम सिंकू।

मां की मौत के बाद शव की पहचान नहीं हो पा रही थी। इस कारण घर पर ना ही खाना बनता था न ही चूल्हा जलता था। परिवार के लोगों का खाना दीदी के यहां से आ जाता था। जिससे काम चल रहा था। प्रशासन को जांच में इतनी देरी नहीं करनी चाहिए।

-सुमन पिंगुआ, पुत्री, मृतक सीना पिंगुआ।