JAMSHEDPUR: मकर संक्रांति का त्योहार शुक्रवार को मनाया जाएगा। काशी पंचांग के अनुसार शुक्रवार को सुबह 7.फ्ख् बजे भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। लहरी और दृक पंचांग के अनुसार भगवान भास्कर गुरुवार की रात क्.फ्ख् बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसप्रकार शास्त्रानुसार मकर संक्रान्ति जन्य पुण्य काल शुक्रवार को ही रहेगा। पंडित रमाशंकर तिवारी ने बताया कि काशी पंचांग के अनुसार दिन भर स्नान-दान के लिए उत्तम मुहूर्त है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होने के कारण स्वर्णरेखा व खरकई नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ेगी। बड़ी संख्या में लोग गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए शहर के बाहर भी गए हैं। लोग अपने-अपने घरों में भी पवित्र स्नान करके दान आदि करके पुण्य का लाभ उठाएंगे। मकर संक्रांति स्नान-दान का विशेष पर्व है। जो इस दिन स्नान नहीं करते वे सात जन्म तक रोगी और दरिद्र होते हैं। इस विशेष दिन किया हुआ दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है। भारत कृषि प्रधान देश होने की वजह से ज्यादातर त्योहारों की पृष्ठभूमि भारतीय परंपरा के अंतर्गत कृषि से जुड़ी रही है। मकर संक्रांति दो ऋतुओं (शिशिर और बसंत) का संधिकाल और दो राशियों धनु से मकर का संक्रमण भी माना जाता है। सूर्य जब मकर गत होते हैं तब मकर संक्रांति ही देवताओं के लिए प्रभात काल होता है। इसी दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं और वहीं एक माह चलने के बाद खरमास समाप्त हो जाता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति के पुण्यकाल में काशी खंड में दशाश्वमेघ घाट, तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान से समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं। गंगा आदि पवित्र नदियों में भी स्नान करने से पुण्य लाभ मिलता है। मकर संक्रांति के पुण्यकाल में काले तिल, तिल निर्मित मिष्ठान्न, काला कंबल एवं वस्त्रादि दान से सुख-समृद्घि के साथ आरोग्य लाभ का योग बनता है। यदि पवित्र नदी या तीर्थस्थल में स्नान संभव न हो तो किसी भी नदी में स्नान अथवा पवित्र नदियों का ध्यान करके घर में भी स्नान करना पुण्यप्रद रहेगा। स्नानोपरांत सूर्य देव एवं अपने इष्टदेव का ध्यान करना चाहिए। गुरुवार को दिन भर लोगों की भीड़ दूध व चूड़ा, लाई, तिलकुट सहित पूजा की और दान की सामग्री खरीदती दिखी। सब्जी दुकानों पर भी भीड़ देखी गई। देर शाम तक लोग शहर के बाजारों में मकर पर्व की सामग्री खरीदते दिखाई पड़े।