-पीके अभियान के बाद अंधविश्वास पर लोगों के साथ की गई परिचर्चा

-लोगों ने अंधविश्वास को बताया गलत

-लोगों ने कहा आस्था और अंधविश्वास दोनों हैं अलग-अलग

-विश्वास के साथ किया गया कोई काम अंधविश्वास नहीं हो सकता

JAMSHEDPUR : आस्था और अंधविश्वास दोनों अलग-अलग हैं। इंसान जब दोनों को एक साथ जोड़ देता है, तो दोनों का अस्तित्व खत्म हो जाता है और यह पूरी तरह अंधविश्वास में तब्दील हो जाता है, जिसे एजुकेटेड लोग खतरनाक मानते हैं। हालांकि, कुछ लोगों का यह भी मानना है कि पढ़े-लिखे लोगों के घर में रहने वाले बड़े-बुजूर्गो का कुछ ऐसी बातों पर विश्वास होता है, जिसे आम तौर पर अंधविश्वास कहा जाता है। आई नेक्स्ट ने पिछले छह दिनों तक चलाए गए अभियान के बाद कुछ लोगों के साथ इसी टॉपिक पर डिस्कशन किया गया। इसमें शामिल लोग एजुकेटेड ही थे। इनमें से कुछ के विचार तो कॉमन थे, लेकिन कुछ का मानना था कि कुछ एडवांस्ड लोग विश्वास को भी अंधविश्वास का रूप दे देते हैं।

आस्था के साथ ही बिजनेस भी

पीके अभियान में हमने देखा और जाना कि कैसे आस्था के नाम पर ईश्वर व अल्लाह का माखौल उड़ाया जा रहा है। मंदिर व मस्जिदों में दुकान चलाने की परमीशन देकर, किराए पर दुकान देकर उसे कॉमर्शियलाइज कर दिया गया है। अगर इन जगहों से हमारी आस्था जुड़ी है तो इस पवित्र स्थान को बिजनेस से जोड़ने का क्या मतलब है। बातचीत करने पर यह तथ्य सामने आया कि दुकानदार मंदिर व मस्जिद जैसी जगहों पर बेहतर बिजनेस के लिए दुकान लेते हैं तो मंदिर व मस्जिद कमिटी के लोग अपने फायदे के लिए कैंपस का कॉमर्शियलाइजेशन कर रहे हैं।

पानी बेकार बहने से हानि

कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो पानी के यूज के बाद नल खुला छोड़ देते हैं। यह गलत है, क्योंकि पानी काफी कीमती है। कई लोगों का मानना भी है कि पानी के बेकार बहने से लक्ष्मी की हानि होती है। भले ही इस बात में सच्चाई हो न हो, लेकिन यह उनका विश्वास है, इसे कतई अंधविश्वास की संज्ञा नहीं दी जा सकती, क्योंकि पानी नहीं रहने के कारण क्या स्थिति होती है, इससे सभी वाकिफ हैं।

फिल्में सोसाइटी की आईना होती हैं। उनमें कुछ चीजों सही दिखाई जाती हैं। केवल आस्था व अंधविश्वास ही नहीं गलत काम गलत ही होता है। अगर हम नल से पानी को बेकार बहने देते हैं तो यह गलत है। मेरी मां कहती है कि पानी बेकार नहीं बहाना चाहिए, इससे लक्ष्मी की हानि होती है।

कंचन मिश्रा

कुछ एजुकेटेड लोग विश्वास को अंधविश्वास के साथ जोड़ देते हैं। हम जो भी काम विश्वास के साथ करते हैं, वह कभी अंधविश्वास नहीं हो सकता। अगर आपको किसी चीज पर विश्वास नहीं तो वहां से हट जाएं।

उषा रानी शर्मा

आस्था में भगवान और अंधविश्वास में शैतान होता है। अगर किसी की जान को कोई खतरा हो और कोई कहे कि यह धागा बांधने से जान बच जाएगी और वह व्यक्ति धागा बांध लेता है तो यह अंधविश्वास नहीं आपका विश्वास है।

-संदीप साहू

आज के दौरान में अंधविश्वास का कोई स्थान नहीं है। हालांकि कुछ लोग अंधविश्वास पर भी भरोसा करते हैं, लेकिन आज के दौर में पढ़े-लिखे लोगों को अंधविश्वास पर कोई भरोसा नहीं है।

पुष्पा कुमारी

आज की लाइफस्टाइल फास्ट हो गई है। लोगों के पास अंधविश्वास का असर नहीं रह गया है, लेकिन यह पूरी तरह खत्म हो गया, ऐसा कहना भी गलत होगा। लोगों को किसी बात पर विश्वास करना चाहिए, अंधविश्वास नहीं, क्योंकि इससे केवल नुकसान होता है।

राहुल कुमार

आज के समय में कहीं गलत होते देख कर चुप रहना भी गलत है। अगर पीके फिल्म की ही बात करें, तो उसमें गलत को गलत बताया गया है। लोगों को गलत करने और गलत देखने से परहेज करना चाहिए।

-निशांत कुमार

आस्था और अंधविश्वास अलग-अलग चीजें हैं। आस्था में पवित्रता है तो अंधविश्वास में गंदगी है। ऐसा होता है कि किसी बूढ़ी व विधवा महिला को डायन करार देकर मारा जाता है, यह विश्वास तो किसी भी हाल में नहीं कहा जा सकता। अगर ऐसा करने वालों से पूछा जाए कि जिस गरीब व बेसहारा को वे डायन कह रहे हैं, उसी हालत की किसी संभ्रांत घर की महिला या पुरूष के साथ वे ऐसा व्यवहार कर सकेंगे?

काकोली महतो, मानगो