JAMSHEDPUR: 'आबुआ दिशोम, आबुआ राज' का संदेश देकर झामुमो नेताओं ने एकबार फिर से उलगुलान का बिगुल फूंक दिया। मंगलवार को गोपाल मैदान चहुंओर आबुआ दिशोम रे, आबुआ राज यानी हमारे देश में हमारा राज के नारे से गूंजायमान था। इसके माध्यम से झामुमो ने अपने लोगों के बीच यह संदेश देने का प्रयास किया कि जब तक उनकी सरकार नहीं बनेगी, तब तक राज्य का विकास नहीं होगा और आदिवासी-मूलवासी भावना के साथ खिलवाड़ होता रहेगा। जनाक्रोश रैली से यह भी बताया कि वे ही आदिवासी-मूलवासी के सच्चे हितैषी हैं और उनके रहते सीएनटी-एसपीटी एक्ट में किसी तरह के संशोधन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

जनाक्रोश रैली में उमड़े लोग

भगवान बिरसा मुंडा जयंती व राज्य स्थापना दिवस पर झामुमो की ओर से गोपाल मैदान में बुलाई गई जनाक्रोश रैली में भीड़ उमड़ पड़ी। कोल्हान के तीनों जिले से भारी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता गोपाल मैदान में पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुनने पहुंचे थे। भीड़ ने पार्टी नेताओं के उत्साह को दोगुना कर दिया। झामुमो की ओर से बुलाई गई रैली या सभा में काफी वर्षो बाद इतनी बड़ी संख्या में लोगों का जुटान हुआ था। भीड़ में शामिल ज्यादातर लोग पारंपरिक आदिवासी ड्रेस व हथियार के साथ थे। मुख्य मंच के पीछे लगे बैनर में पार्टी की ओर से कहा गया था कि बिरसा का बलिदान एवं अस्तित्व हमारा नारा है, सीएनटी-एसपीटी काननू से छेड़छाड़ करने पर गुरुजी ने उलगुलान के लिए ललकारा है।

सीएनटी-एसपीटी में संशोधन का होगा विरोध

गुरुजी की इस ललकार का ही असर था कि लोग चुनावी मौसम के नहीं होते हुए भी गोपाल मैदान में दोपहर में ही पहुंच गए थे। गोपाल मैदान में जुटी भीड़ से यह तो साफ हो गया कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन को सरकार को अभी काफी मशक्कत करनी होगी। झामुमो नेताओं ने अपने संबोधन में इस बात का जिक्र किया कि आदिवासियों की जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए अंग्रेजों ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट बनाने का काम किया था। ऐसे में इस एक्ट में संशोधन की बात करना गलत होगा। विधायकों ने कहा कि गोपाल मैदान से उलगुलान की शुरुआत हो गई है। क्7 नवंबर से विधानसभा सत्र में इसका पुरजोर विरोध होगा। साथ ही आदिवासी-मूलवासियों से अनुरोध किया कि वे भाजपा के आदिवासी सांसदों व विधायकों का अपने-अपने क्षेत्र में विरोध करें।