छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : देश के लिए तकनीकी, कृषि, मौसम, स्वास्थ्य, शिक्षा, जलस्तर और खनिज समेत तमाम भौगोलिक जरूरतों के मामले में काफी उपयोगी साबित होगा हमारा मंगल मिशन। इसकी सफलता हमारे देश की जरुरतों को पूरा करने में मील का पत्थर साबित होगा। जहां तक मंगल पर यान पहुंचाने वाले देशों की बात है, गिने-चुने देश ही इस क्लब में शामिल हैं। अब भारत भी इस क्लब में शामिल हो गया है। यह कहना है अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन का। सीएसआइआर- राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) के स्थापना दिवस समारोह में शिरकत करने आए कस्तूरीरंगन ने पत्रकारों से बातचीत में मंगल ग्रह की कक्षा में भारतीय उपग्रह के सफलतापूर्वक स्थापित होने पर खुशी जताते हुए कहा कि यह एक्सीलेंट लीडरशिप व एक्सीलेंट टीमवर्क के चलते संभव हो पाया। उन्होंने कहा कि मंगल अभियान कुछ वैसा ही जटिल अभियान कहा जाना चाहिए जैसे 250 किलोमीटर दूर स्थित सिक्के पर राइफल से निशाना साधना। विक्रम साराभाई ने ऐसा सांचा तैयार किया, जो अब उनकी दूरदर्शिता को फलीभूत कर रहा है। मंगल अभियान की सफलता के लिए वैज्ञानिकों की पूरी टीम बधाई की पात्र है, जिन्होंने 20 से 24 घंटे तक मेहनत करने में कसर नहीं छोड़ी।

मानव जीवन के लिए उपयुक्त हो सकता है मंगल ग्रह

के कस्तूरीरंगन ने कहा कि पृथ्वी के बाद मंगल ग्रह पर मानव जीवन के लिए संभावना की तलाश की जा रही है। यह ग्रह इसके लिए उपयुक्त हो सकता है। उन्होंने आज के महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉपकिन्स की उस बात का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि आगामी हजार साल तक मानव जीवन के लिए पृथ्वी पर ही निर्भर रहना ठीक नहीं है। भौगोलिक परिवर्तन और हथियारों की होड़ के चलते जो स्थितियां बन रहीं हैं, उनमें हमें मानव जाति को बचाए रखने के लिए पृथ्वी पर ही भरोसा कर नहीं रहना चाहिए। कस्तूरीरंगन ने कहा कि पृथ्वी, वायु के अलावा मंगल ग्रह नई संभावना की तलाश के लिए उपयुक्त हो सकता है।

मौसम पूर्वानुमान में आया सुधार

एक सवाल के जवाब में राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन ने कहा कि चार-पांच साल पहले तक मैं भी मानता था कि भारत के मौसम पूर्वानुमान अक्सर गलत साबित होते थे। अब ऐसा नहीं है। फेलिन के मामले में भारतीय उपग्रहों पर आधारित पूर्वानुमान सबसे अधिक सटीक थे। मौसम पूर्वानुमान के मामले में हम काफी आगे बढ़ चुके हैं।

योजनाओं के लिए बने सही सिस्टम

योजना आयोग को भंग करने के प्रस्ताव संबंधी सवाल पर आयोग के पूर्व सदस्य के रूप में अपने अनुभव पर डॉ कस्तूरीरंगन ने कहा कि योजना का नाम कुछ भी हो, उसे लागू करने का सिस्टम सही होना चाहिए। भारत की सामाजिक संरचना काफी जटिल है और हमें उस हिसाब से सिस्टम भी डेवलप करना पड़ेगा। ऐसा हो भी रहा है। झारखंड के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यहां कृषि उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। उनका कहना था कि कई क्षेत्रों में संपन्न होने के बावजूद कृषि, ऊर्जा, आधारभूत संरचना, नारी सशक्तीकरण, मानव विकास के मामले में काफी कुछ करने की जरूरत है। इसके लिए राज्य व केंद्र को सम्मिलित पहल करनी चाहिए।

महिलाओं के लिए बने अलग कैडर

शिक्षा क्षेत्र के विकास में महिलाएं काफी उपयोगी भूमिका निभा सकती हैं। ये बच्चों के लिए अपेक्षाकृत अधिक संप्रेषणीय होती हैं। स्पेशल पॉलिसी के तहत महिलाओं का अलग कैडर बना उन्हें प्रशिक्षण देकर शिक्षा के विकास में योगदान दिलाया जा सकता है।