-मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर्स के हर मूवमेंट की होगी ट्रैकिंग

-एमसीआई ने मेडिकल कॉलेजों में रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन सिस्टम शुरू करने का दिया निर्देश

-कॉलेज के टाइम में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स पर लगेगी लगाम

-सीट बचाने के लिए एमसीआई की आंखों में धूल झोंकने वाले मेडिकल कॉलेजेज की भी बढ़ेगी मुश्किल

JAMSHEDPUR : मेडिकल कॉलेज के टीचिंग स्टाफ के लिए अब कॉलेज के समय प्राइवेट प्रैक्टिस करना मुश्किल होगा। 'घोस्ट फैकल्टी' के दम पर एमसीआई की आंखों में धूल झोंक मेडिकल सीट बचाने वाले कॉलेजेज की परेशानी भी बढ़ने वाली है। ये सब संभव होगा रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन सिस्टम (आरएफआईडी) के जरिए। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने फैकल्टी आईडेंटिफिकेशन, ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग के लिए मेडिकल कॉलेजों में आरआईएफडी सिस्टम शुरू करने के लिए सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल्स को सर्कुलर जारी किया है। एमसीआई के इस सर्कुलर को देखते हुए झारखंड में आरआईएफडी को लेकर काम शुरू कर दिया गया है।

एडवांस तकनीक से होगी ट्रैकिंग

कॉलेज में हाजिरी बनाकर डॉक्टर साहब आराम से निकल लिए प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए। ऐसा करने वाले डॉक्टर्स की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं। ये मुश्किल बढ़ाने का काम करेगा रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन सिस्टम। इस सिस्टम के तहत फैकल्टी मेंबर्स की हर मूवमेंट ट्रैक की जाएगी। इतना ही नहीं फैकल्टी मेंबर्स के मूवमेंट की पल-पल की रिपोर्ट सीधे पहुंचेगी एमसीआई के पास। एमसीआई ने एक सर्कुलर जारी कर सभी मेडिकल कॉलेजेज के लिए आरएफआईडी इंस्टॉल करना मैंडेटरी कर दिया है।

'घोस्ट फैकल्टी' पर लगेगी लगाम

एमसीआई द्वारा मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी मेंबर्स की संख्या को लेकर मानदंड तय किए गए है। निर्धारित फैकल्टी मेंबर्स रहने पर ही एमसीआई द्वारा कॉलेज में मेडिकल सीट्स का निर्धारण और कोर्स कंडक्ट करने का परमिशन दिया जाता है। पर कई कॉलेज निर्धारित संख्या में फैकल्टी मेंबर ना रहने के बावजूद अपनी सीट्स बचाने के लिए 'घोस्ट फैकल्टी' का सहारा लेते हैं। ये फैकल्टी सिर्फ कागजों पर ही रहते हैं। एमसीआई के इंस्पेक्शन के वक्त ऐसे फैकल्टी बुला लिए जाते हैं, ताकि सीट्स बचाई जा सके। आरआईएफडी सिस्टम की शुरुआत हो जाने से इस पर लगाम लगेगा। एमसीआई के काउंसिल मेंबर डॉ राकेश प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा कि प्राइवेट कॉलेजेज से इस तरह की शिकायतें आती हैं। प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने वाले एक ही फैकल्टी मेंबर की हाजिरी कई कॉलेजेज में होती है। उन्होंने कहा कि आरआईएफडी सिस्टम शुरु होने से इस पर रोक लगेगी।

ख्009 में ही हुई थी शुरुआत

एमसीआई द्वार फैकल्टी आईडेंटिफिकेशन, ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग के लिए ख्009 में ही रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन सिस्टम की शुरुआत की थी। पर इसके इम्प्लीमेंटेशन की प्रक्रिया तब के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के टेन्योर में डिसकंटीन्यू कर दिया गया था। दिसंबर ख्0क्फ् में हेल्थ मिनिस्टरी द्वारा एमसीआई का पुनगर्ठन किया गया। इसके बाद एमसीआई के प्रेसिडेंट द्वारा आरआईएफडी सिस्टम के लिए एक सब-कमिटी बनाई गई और इसे इम्प्लीमेंट करने का निण्र्1ाय लिया।

क्या है आरआईएफडी सिस्टम

इस सिस्टम के तहत एक चिप में फैकल्टी मेंबर्स के फोटो, फिंगर प्रिंट, आधार कार्ड सहित अन्य आवश्यक डिटेल्स रहेंगे। वहीं कॉलेज में सेंसर लगाए जाएंगे जो इन चिप्स को ट्रैक करेंगे। इन सेंसर्स के जरिए हर फैकल्टी मेंबर की ट्रैकिंग हो पाएगी। कॉलेज में इसके लिए लगाए गए विशेष कम्प्यूटर इस डाटा को रिसीव कर एमसीआई के सेंट्रल सर्वर में भेजेंगे।

आरआईएफडी काफी अच्छी पहल है। इससे मेडिकल कॉलेजेज में फैकल्टी मेंबर्स की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी। एमजीएम कॉलेज में आरआईएफडी सिस्टम को जल्द से जल्द शुरू किया जाएगा।

-डॉ एएन मिश्रा, प्रिंसिपल, एमजीएम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल

स्टेट के मेडिकल कॉलेजों में आरआईएफडी सिस्टम शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजेज में इसकी ज्यादा जरूरत है। आरआईएफडी के तकनीकि पहलुओं पर काम किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को जल्द ही पूरा कर मेडिकल कॉलेजों में आरआईएफडी शुरू किया जाएगा।

-डॉ राकेश प्रसाद श्रीवास्तव, काउंसिल मेंबर, एमसीआई