-डीएसई कार्यालय में स्कूल प्रबंधन के साथ बैठक में नहीं बनी सहमति

-डीइओ बोले, इच्छुक स्कूल सोमवार तक डीएसई कार्यालय में जमा करें आवेदन

JAMSHEDPUR: जिला प्रशासन की जमशेदपुर शहर में स्कूल बस चलाने की मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है। मंगलवार को जिला शिक्षा अधीक्षक के कार्यालय में स्कूल बसों के परिचालन को लेकर बुलायी गयी बैठक में करीब-करीब सभी प्राइवेट स्कूलों ने प्रशासन की ओर से दी जाने वाली बसों को चलाने से मना कर दिया। इसके पीछे उन्होंने तरह-तरह के तर्क भी दिए। करीब एक घंटे चली बैठक के अंत में जिला शिक्षा पदाधिकारी मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि प्रशासन जबरदस्ती आप लोगों को बस चलाने के लिए नहीं कहेगा। जो स्कूल संचालक यह सुविधा लेना चाहते हैं वह अगले सोमवार तक जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में आवेदन जमा कर दें। फिर हम उन्हीं के साथ बैठकर आगे के लिए विचार करेंगे। बच्चों की सुरक्षा के सवाल पर उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन को इसके लिए जवाबदेह तो होना ही पड़ेगा। हमें इस अभियान की शून्य से शुरुआत करनी है और इसमें आप लोगों का साथ बहुत जरूरी है। फिलहाल सरकार भ्0 बस स्कूलों को देने पर विचार कर रही है। इसके बदले में स्कूलों को केवल इंश्योरेंस, टैक्स व परमिट संबंधी शुल्क देना होगा। कोई विवाद की स्थिति न हो इसलिए बस का किराया प्रशासन तय करेगा। बैठक में डीएसई इंद्र भूषण सिंह, डीटीओ संजय पीएम कुजूर सहित करीब ब्0 स्कूलों के प्राचार्य अथवा स्कूल प्रबंधन समिति के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।

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इन्हें दी जायेगी प्राथमिकता

डीईओ मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि स्कूल प्रबंधन सबसे पहले क्ख् साल से कम आयु के ऐसे बच्चों की सूची तैयार करे जो असुरक्षित तरीके से स्कूल आ रहे हैं। इसके बाद स्कूल से घर के बीच की दूरी के आधार पर बच्चों को प्राथमिकता दें। विशेष तौर पर छोटे बच्चों को सुरक्षित स्कूल लाने की कोशिश हम सभी को होनी चाहिए। इसके बाद जरूरत अनुसार बच्चों को स्कूल बस की सुविधा मुहैया करायी जाए।

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स्कूलों की ओर से दिए गए तर्क

-स्कूल बस किस रूट पर चलेगी, यह कौन तय करेगा।

- छात्र संख्या के आधार पर अगर स्कूली बसें चलायी गयी तो जमशेदपुर का ट्रैफिक बुरी तरह गड़बड़ा जायेगा।

- किसी भी स्कूल के पास ख्0-ख्भ् बसों को खड़ी करने के लिए पार्किंग की व्यवस्था नहीं है।

- रास्ते में अगर स्कूल बस दुर्घटनाग्रस्त होती है तो जिम्मेदार कौन होगा।

- प्रशासन स्वयं क्यों नहीं अपनी जिम्मेदारी में वेंडर नियुक्त कर बसों का परिचालन कर रहा है।

- घर-घर नहीं जायेगी बस तो पैरेंट्स को होगी परेशानी।

- स्कूल ऑवर में बिष्टुपुर व साकची चौक पर जाम की स्थिति हो जाती है। इसे देखते हुए यातायात पुलिस कम से कम आधे घंटे के लिए बड़े वाहनों के शहर में प्रवेश पर रोक लगाए।

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और गर्म हो गए डीबीएमएस के डायरेक्टर वी। चंद्रशेखर

जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में स्कूल बस परिचालन को लेकर चल रही चर्चा के बीच डीटोओ के यह कहने पर कि 'आप अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं' सुनकर डीबीएमएस मैनेजिंग कमेटी के निदेशक वी। चंद्रशेखर भड़क गए। उन्होंने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि फ् हजार से ब् हजार बच्चों के एकेडमिक को तैयार करने वालों से आप यह बात कैसे कह सकते हैं। आप हमें बच्चों की सुरक्षा के प्रति गैर जिम्मेदार नहीं कह सकते। उन्हें आक्रोशित होते देख बगल में बैठे निदेशक एपी नायर व संत मेरिस के प्रिंसिपल फादर डेविड विन्सेंट और एमएनपीएस के डा। डीपी शुक्ला ने शांत किया।

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सीबीएसई की गाइडलाइन पर बहस

बैठक के दौरान जिला शिक्षा विभाग ने सीबीएसई की गाइडलाइन का हवाला देते हुए कहा कि स्कूलों को हर पांच साल में डीटीओ से ट्रांसपोर्टिग प्रमाण पत्र लेकर बोर्ड को जमा करना होता है। इस पर आपत्ति जताते हुए स्कूलों की ओर से कहा गया कि यह नियम उन्हीं पर लागू होता है जो अपनी बसें चला रहे हैं। जहां बसें चल ही नहीं रही वहां इस प्रमाण पत्र को देने की कोई आवश्यकता नहीं है।