JAMSHEDPUR: कोल्हान के सबसे बड़े गवर्नमेंट हॉस्पिटल एमजीएम मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल में मरीजों के भोजन की मात्रा तो बढ़ी, लेकिन क्वालिटी से समझौता किया जा रहा है। एमजीएम में अभी भी 50 रुपए में दो समय का खाना और सुबह का नाश्ता दिया जा रहा है। जिससे मरीजों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है। मंगलवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने एमजीएम हास्पिटल में मरीजों से खाने के बारे में पूछा तो लोगों का दर्द छलक उठा। वहीं कैंटीन संचालक सुखलाल ने बताया कि सरकार ने डाइट रेट में वृद्धि नहीं की है, लेकिन खाना की मात्रा में बढ़ोतरी कर दी है। एमजीएम हॉस्पिटल में पहले मिलने वाले 200 एमएल दूध के स्थान पर अब 250 एमएल दूध, 150 ग्राम के स्थान पर 200 ग्राम चावल, 60 की जगह 70 ग्राम दाल दी जा रही है।

अच्छे भोजन का आशा टूटी

अच्छे दिन की आस लगाए मरीजों को अभी तक अच्छा खाना नहीं मयस्सर हुआ है। नये साल में लोगों को अच्छा खाना देने का वादा करने वाली सरकार तीन माह बीत गए हैं। लेकिन अभी तक डाइट के लिए बजट नहीं दिया गया है, जिससे अभी भी मरीजों के घटिया खाना मिल रहा है।

तीन तरह का दिया जा रहा बजट

प्रदेश में सरकार द्वारा हॉस्पिटल को तीन तरह का डाइट बजट दिया जाता है, जिसमें रिम्स को 160 रुपय प्रति रोगी, सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल को 100 रुपय प्रति मरीज एव जिला हॉस्पिटल को 50 प्रति मरीज भोजन का बजट दिया जा रहा है।

नहीं है डायटीशियन

एमजीएम हास्पिटल में डायटीशियन नही है, यह पद 2 साल से खाली है, पर अभी तक इस पद पर किसी को बहाल नही किया गया है, इस संबंध में कर्मचारियों ने बताया डायटीशियन ना होने के कारण डाइट चार्ट बनाने में दिक्कत होती है, चार्ट बनाने के लिए रिटायर्ड डायटीशियन की मदद ली जाती है।

विगत दिनों डायट चार्ट में फेर बदल किया गया है। मरीजों की डाइट सुविधा को देखते हुए ऐसा किया, इससे मरीजों को ज्यादा दूध, चावल और दाल मिल रही है। डायटीशियन की स्वास्थ्य विभाग से मांग की गई है, डायटीशियन बहाल होंगे।

डॉ, भारतेंदु भूषण, सुपरिटेंडेंट, एमजीएम, जमशेदपुर

अस्पताल में खाना ढंग का नहीं मिलता है। अंडा ठीक से बॉयल नहीं रहता है। रोटी कच्ची रहती है। चिकन भी अच्छा से नहीं बना रहता है। सप्ताह में सिर्फ एक बार ही चिकेन दिया जाता है। वे लोग किसी तरह खाना को खाते हैं। कभी-कभी घर से खाना लाना पड़ता है।

अविरवन गुप्ता, मानगो

मैं 15 दिनों से यहां अपना इलाज करवा रहा हूं। एक दिन भी खाना ढंग का नहीं मिला। दूध में पानी ज्यादा मिलाया रहता है। सब्जी अच्छी नहीं रहती है।

गौर सिंह, बोड़ाम

दाल कम पानी ज्यादा रहता है। सब्जी में नमक कम रहता है। मरीज किसी तरह खाना खाते हैं। गरीब मरीज बाहर का खाना नहीं खा सकते हैं। इस वजह से किसी तरह अस्पताल द्वारा दिया गया खाना खाना पड़ता है।

काला बाई, मनीफीट

मैं एक माह से यहां अपना इलाज करवा रहा हूं। एक दिन भी खाना ढंग का नहीं मिला। कभी सब्जी में नमक कम रहता है तो कभी दाल पानी जैसा। किसी तरह खाना पड़ता है।

जौहरिया तामसाइ, देवनगर