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JAMSHEDPUR: राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए शहर को साफ दिखाने के लिए शहर की एमएनसी के साथ ही जुस्को ने भी एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। सर्वेक्षण में करोड़ों खर्च होने के बाद भी शहर में गंदगी का अंबार लगा लगा रहता है। शहर में करोड़ों रुपये के शौचालय बनाए जाने के बाद भी टंकियों में पानी नहीं हैं।

पिछले वर्ष 64 वां स्थान मिला था

स्वच्छ भारत रैकिंग में जमशेदपुर को 64वां स्थान प्राप्त किया था। भारत सरकार द्वारा जारी इस लिस्ट में देश के 100 शहरों को चुना गया था। इस वजह से जमशेदपुर के डीसी अमित कुमार और जेएनएसी के विशेष पदाधिकारी दीपक सहाय को उस समय के शहरी ग्रामीण विकास मंत्री वैंकैया नायडू द्वारा ने पुरस्कृत किया गया था।

प्रचार पर जमकर हुआ था खर्च

प्रचार-प्रसार में जेएनएसी ने 6.50 लाख की कीमत के 1600 फ्लैक्स छपवाए थे। शहर को खुले में शौच मुक्त बनाने और शहर को देश का सबसे स्वच्छ का तमगा प्राप्त करने के लिए प्रचार-प्रसार किया गया था। हालत है कि प्रचार के बाद भी लोग इधर, उधर कूड़ा फेंक कर खुले में ही शौच जा रहे हैं।

दावे और हकीकत में फर्क

सरकारी आंकड़ों की मानें तो जुगसलाई में 504 टायलेट और 12 बायो टायलेटों का निर्माण कराया गया है। योजना के अंतर्गत शौचालय बनाने के लिए प्रति परिवार 12 हजार रुपये सरकार की ओर से दिये जाते हैं। वहीं जेएनएसी ने 25 बायोटॉलेट के साथ कुल 640 टायलेटों का निर्माण कराया है। जिसमें से अधिकत्तर टायलेट घरों में लगाए है। जबकि एमएनएसी ने 756 टायलेटों का निर्माण कराया है। जिनमें में 12 बायो टायलेट और 20 नॉर्मल टॉयलेट बनाने बनाए गए हैं। फिलहाल शहर में करीब 6600 टायलेट और भी बनाये जाने हैं।

वाटर सप्लाई फेल

स्वच्छता का दामन थाम शहर को चमकाने में स्वच्छ जल की सप्लाई पर ध्यान नहीं दिया गया। हालत यह है नन कंपनी एरिया में कई जगहों के लोगों को दो-दो किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है। शहर के गोविंदपुर, राहरगोड़ा, जुगसलाई, मानगो जैसे इलाकों में पीने के पानी के लिए लोग अभी भी जद्दोजहद कर रहे हैं। वहीं, कई इलाकों में पानी की सप्लाई नहीं होने से उन्हें दूषित पानी पीना पड़ रहा है।

उलीडीह इलाके में अभी तक शत-प्रतिशत शौचालय का निर्माण नहीं हो पाया है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि शहर में बने सामुदायिक शौचालय की साफ सफाई पर ध्यान दें।

-रामकुमार, मानगो

शहर में अभी भी लोग गंदगी में रहना पसंद करते है। सरकार के अभियान के बाद भी लोगों में ओवरनेस की कमी है। कूड़ेदान होने के बावजूद भी लोग उसके बाहर ही कूड़ा फेंककर चले जा रहे हैं। इस वजह से गंदगी फैल रही है।

-अनुज कुमार, बागबेड़ा

शहर में बनाए गए सैकड़ों शौचालयों की टंकियों में पानी की बूंद भी नहीं पहुंची है। शहर में कई स्थानों में अभी तक शौचालयों का निर्माण पूरा भी नहीं हुआ है।

-अंजलि सिंह, बिष्टुपुर