-बेहाल है डिस्ट्रिक्ट का फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट

-सैंपल कलेक्शन की धीमी है रफ्तार

-फूड सैंपल की क्वालिटी की नहीं हो रही है जांच

jamshedpur@inext.co.in

JAMSHEDPUR : उत्तर प्रदेश के फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा मैगी में परमिटेड लेवल से ज्यादा मोनोसोडियम ग्लूटामेट और लीड पाए जाने के बाद सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। नूडल बनाने वाली कंपनी के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू किए जाने के साथ-साथ अब इसके ब्रांड एंबेसडर्स पर भी कार्रवाई की बातें कही जा रही हैं। एक तरफ जहां देश के अन्य राज्यों में फूड सेफ्टी को लेकर सक्रियता दिखाई जा रही है, वहीं झारखंड में फूड सेफ्टी बेहाल है। जमशेदपुर इसका उदाहरण है। जिले में फूड सेफ्टी ऑफिसर का पद पिछले चार महीने से खाली है। विभाग का काम लगभग ठप पड़ा है। ऐसे में शहर में फूड सेफ्टी के हाल का अंदाजा लगाया जा सकता है।

ठप पड़ा है काम

फूड सेफ्टी एक्ट के तहत फूड सेफ्टी ऑफिसर का महत्वपूर्ण रोल है। फूड आइटम्स तय मानकों के अनुसार हों यह सुनिश्चित करना, सर्विलांस, सर्वे और रिसर्च के उद्देश्य से सैंपल कलेक्ट करना और जरूरत पड़े, तो उन्हें जांच के लिए भेजना, फूड बिजनेस ऑपरेटर्स नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं इसकी जांच करना, नए लाइसेंस जारी करना या लाइसेंस के रिन्यूअल, कैंसलेशन के लिए रिकॉमेंडेशन देना और फूड सेफ्टी से जुड़ी ऐसी ही कई जिम्मेदारियां फूड सेफ्टी ऑफिसर के कंधों पर रहती हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि शहर में पिछले चार महीनों से फूड सेफ्टी ऑफिसर का पद खाली है। फूड सेफ्टी ऑफिसर महेश पांडेय के रिटायर होने के बाद से ये पद खाली पड़ा है। फूड सेफ्टी ऑफिसर नहीं होने की वजह से डिपार्टमेंट का काम ठप है। कोल्हान के तीनों डिस्ट्रिक्ट्स ईस्ट सिंहभूम, वेस्ट सिंहभूम और सरायकेला-खरसवां के लिए एक ही फूड सेफ्टी ऑफिसर होते हैं। ऐसे में पद खाली रहने की वजह से सभी डिस्ट्रिक्ट्स में इसका असर पड़ रहा है।

लिए गए सिर्फ 430 सैंपल

फूड सेफ्टी ऑफिसर का पद खाली होने से पिछले कई महीनों से फूड आइटम्स के सैंपल लिए जाने का काम भी बंद पड़ा है। विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि फूड सेफ्टी एक्ट लागू होने से जनवरी तक करीब 430 सैंपल कलेक्ट किए गए थे, लेकिन पिछले चार महीनों से ये काम ठप पड़ा है। फूड सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि फूड सैंपल्स की जांच कर उनकी क्वालिटी का पता लगाया जाए और कोई गड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई की जाए। पर सवाल उठता है कि जब फूड सैंपल्स की जांच ही नहीं की जा रही है, तो फूड आइटम्स की क्वालिटी का पता आखिर चलेगा कैसे। हाल ही में मानगो स्थित रिलायंस फ्रेश के आउटलेट में खराब फल और सब्जियां पाए जाने के बाद तीन दिनों तक अभियान चलाया गया। रांची से आई हेल्थ डिपार्टमेंट की टीम ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों से करीब 72 सैंपल कलेक्ट कर जांच के लिए भेजे, लेकिन सवाल है कि क्या लोगों को सेफ फूड उपलब्ध कराने के लिए इस तरह का कोई मामला आने पर सिर्फ कुछ दिनों तक अभियान चलाकर पल्ला झाड़ लेना चाहिए या फिर ये प्रक्रिया बिना रुके हमेशा चलती रहनी चाहिए।

लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की भी धीमी रफ्तार

फूड सेफ्टी एक्ट के तहत फूड बिजनेस ऑपरेटर्स के लिए लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। पर इस एक्ट के तहत शहर में यहां अब तक 2 हजार से भी कम लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन हुए हैं। एक्ट के तहत स्ट्रीट फूड वेंडर्स को भी रजिस्ट्रेशन करवाना है पर रजिस्ट्रेशन करवाने की बात तो दूर ज्यादातर स्ट्रीट फूड वेंडर्स को इसके बारे में जानकारी तक नही है। फूड सेफ्टी ऑफिसर का पद खाली होने से लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पर भी असर पड़ रहा है।

For your information

-फूड सेफ्टी एक्ट के अंतर्गत शहर में अब तक क्0भ्7 दुकानों का रजिस्ट्रेशन हुआ है।

- 77भ् दुकानों ने लाइसेंस लिया है।

-मिलावटी, सब स्टैंडर्ड फूड के लिए ख्0क्फ्-क्ब् में ख्9 दुकानों पर केस किया गया।

- ख्0क्ब्-क्भ् में करीब क्म् केस दर्ज किए गए।

-अब तक क्भ् केस का डिस्पोजल हुआ है, जिनमें से क्0 दुकानदारों से फाइन के रूप में ख् लाख 80 हजार रुपए कलेक्ट किए गए हैं।

- अब तक कलेक्ट किए गए हैं ब्फ्0 सैंपल।

जरूरी है सेफ फूड

हर साल दुनिया भर में करीब ख्0 लाख लोग दूषित भोजन की वजह से अपनी जान गंवाते हैं। वैसे फूड जिनमें हार्मफुल बैक्टिरिया, वायरस, पारासाइट या केमिकल सब्सटेंस मौजूद हो उनकी वजह से ख्00 से ज्यादा बीमारियां होती हैं। सेफ फूड के महत्व के बताने के लिए व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा व‌र्ल्ड हेल्थ डे का थीम फूड सेफ्टी रखा गया था।

फूडबोर्न डिजीज के ये हैं मुख्य कारण

-बैक्टिरिया

-वायरस

-पारासाइट

-प्रिअन

-केमिकल (प्राकृतिक और मानव निर्मित)