-आज है व‌र्ल्ड हेल्थ डे, इस बार व‌र्ल्ड हेल्थ डे का थीम है फूड सेफ्टी

-फूड सेफ्टी को लेकर बरती जा रही है लापरवाही

-दो महीने से ज्यादा वक्त से खाली है फूड इंस्पेक्टर का पद

abhijit.pandey@inext.co.in

JAMSHEDPUR: हेल्दी रहने के लिए सेफ फूड जरूरी है। हर साल दुनिया में करीब 20 लाख लोग दूषित भोजन की वजह से अपनी जान गंवाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने इस बार व‌र्ल्ड हेल्थ डे का थीम रखा है फूड सेफ्टी। इसका मकसद गवर्नमेंट्स से लेकर आम आदमी तक सभी को फूड सेफ्टी का महत्व बताना है, लेकिन एक तरफ जहां दुनियाभर में फूड सेफ्टी को लेकर अभियान चलाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ शहर में गवर्नमेंट द्वारा फूड सेफ्टी को लेकर बनाए गए कानून को सही तरीके से इम्प्लीमेंट नहीं किया जा रहा है। फूड सेफ्टी एक्ट को लागू करने में हेल्थ डिपार्टमेंट की उदासीनता लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

खाली है फूड इंस्पेक्टर का पद

फूड सेफ्टी को लेकर हेल्थ डिपार्टमेंट कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां बीते दो महीने से फूड इंस्पेक्टर का पद खाली है। फूड इंस्पेक्टर का पद खाली होने की वजह से डिपार्टमेंट का काम लगभग ठप है। न तो दुकानों से सैंपल लिए जा रहे हैं और न ही लाइसेंस दिए जा रहे हैं। व्यापारी रजिस्ट्रेशन कराने आते भी हैं, तो उन्हें वापस लौटना पड़ रहा है। फूड सेफ्टी ऑफिसर पर फूड बिजनेसेज के इंस्पेक्शन और वहां से सैंपल लेकर जांच के लिए भेजने की जिम्मेदारी है। अगर सैंपल में गड़बड़ी पाई जाती है तो एक्ट के तहत कारवाई का भी प्रावधान है, पर फूड इंस्पेक्टर के नहीं होने इन सभी कार्यों पर असर पड़ रहा है।

दो हजार से भी कम हुए लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन

एक्ट के तहत फूड बिजनेस ऑपरेटर्स के लिए कई तरह के रूल्स बनाए गए हैं। इसके तहत सभी फूड बिजनेस ऑपरेटर्स को डिपार्टमेंट से लाइसेंस लेना है या रजिस्ट्रेशन करवाना है, लेकिन इस एक्ट के तहत शहर में यहां अब तक दो हजार से भी कम लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन हुए हैं। एक्ट के तहत स्ट्रीट फूड वेंडर्स को भी रजिस्ट्रेशन करवाना है, लेकिन रजिस्ट्रेशन करवाने की बात तो दूर ज्यादातर स्ट्रीट फूड वेंडर्स को इसके बारे में जानकारी तक नहीं है।

For your information

-फूड सेफ्टी एक्ट के अंतर्गत शहर में अब तक 1057 दुकानों का रजिस्ट्रेशन हुआ है।

- 775 दुकानों ने लाइसेंस लिया है।

-मिलावटी, सब स्टैंडर्ड फूड के लिए 2013-14 में 29 दुकानों पर केस किया गया।

- 2014-15 में करीब 16 केस किए गए।

-अब तक 15 केस का डिस्पोजल हुआ है, जिनमें से 10 दुकानदारों से फाइन के रूप में 2 लाख 80 हजार रुपए कलेक्ट किए गए हैं।

Do you know

-वैसे फूड जिनमें हार्मफुल बैक्टिरिया, वायरस, पारासाइट या केमिकल सब्सटेंस मौजूद हो उनकी वजह से ख्00 से ज्यादा बीमारियां होती हैं।

-फूडबोर्न और वाटरबोर्न डायरियल डिजीज से हर साल ख्0 लाख लोगों की मौत होती है।

-अनसेफ फूड की वजह से होने वाली बीमारियों और कुपोषण के शिकार सबसे ज्यादा शिशु, छोटे बच्चे, वृद्ध और बीमार लोग बनते हैं।

फूडबोर्न बीमारियों के ये हैं मुख्य कारण

-बैक्टिरिया

-वायरस

-पारासाइट

-प्रिअन

-केमिकल (प्राकृतिक और मानव निर्मित)

इन बीमारियों का रहता है खतरा

दूषित खाने या पानी की वजह से शरीर में जाने वाले हानिकारक बैक्टिरिया, वायरस, पारासाइट या केमिकल्स की वजह से इन बीमारियों का रहता है खतरा

बैक्टिरिया : सालमोनेला, कैंपिबैक्टर और ई-कोलाई

बीमारी : बुखार, सिरदर्द, मतली, उल्टी, पेट दर्द

सोर्स: अंडा, पोल्ट्री और एनिमल ओरिजिन के दूसरे प्रोडक्ट (सालमोनेला), कच्चा दूध, बिना पका या कम पका हुआ पोल्ट्री, ड्रिंकिंग वाटर (कैंपिबैक्टर), अन-पाश्चराइज्ड दूध, पूरी तरह से ना पका हुआ मीट, ताजे फल और सब्जियां

बैक्टीरिया : लिस्टेरिया

बीमारी: अनप्लान्ड अबॉर्शन, नवजात शिशु के लिए हानिकारक

सोर्स : अन-पाश्चराइज्ड डेयरी प्रोडक्ट्स, कई तरह के रेडी टू इट फूड

बैक्टीरिया : विब्रियो कोलेराई

बीमारी: पेट दर्द, उल्टी, डायरिया

सोर्स: दूषित पानी या खाना

वायरस: नोरोवायरस

बीमारी: मतली, उल्टी, डायरिया, पेट दर्द

सोर्स: कंटैमिनेटेड फूड

वायरस: हेपेटाइटिस ए

बीमारी : लीवर डिजीज

सोर्स: कच्चा या कम पका हुआ सी फूड, इंफेक्टेड फूड हैंडलर फूड अक्सर फूड कंटैमिनेशन का सोर्स बनते हैं।

पारासाइट

पारासाइट खाने या जानवरों के डायरेक्ट कॉन्टैक्ट से लोगों को इंफेक्ट करते हैं। कुछ पारासाइट पानी या मिट्टी के जरिए ताजे उत्पाद को कंटैमिनेट करते हैं।

केमिकल

-माइको टॉक्सिन, मरीन बायोटॉक्सिन, स्यानोजेनिक ग्लाइकोसाइड जैसे प्राकृतिक टॉक्सिन जहरीले मशरूम में पाए जाते हैं। कॉर्न और अनाज में भी माइको टॉक्सिन हो सकते हैं।

-डायोक्सिन और पीसीबी जैसे परजिस्टेंट ऑर्गेनिक पॉल्यूटेंट्स कई तरह की बीमारियों की वजह बनते हैं

-खाने में लीड, कैडमियम, मरकरी जैसे हेवी मेटल के होने से न्यूरोलॉकिल और किडनी डैमेज की समस्या होती है

फूडबोर्न डिजीज से बचाव के लिए सावधानी बरतना जरूरी है। ये है सेफ फूड के लिए व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के पांच मुख्य मंत्र

साफ-सफाई रखें

-फूड हैंडलिंग या खाना बनाने के दौरान हाथ धोना।

-ट्वायलेट जाने के बाद हाथ धोना।

-खाना बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी सर्फेस और बरतनों को धोना और सैनिटाइज करना।

-किचन एरिया का इंसेक्ट्स, पेस्ट्स और दूसरे जानवरों से बचाव।

कच्चे और पके हुए फूड को सेपरेट रखें

-रॉ मीट, पोल्ट्री और सी फूड को अन्य खाने से अलग रखें।

-रॉ मीट की हैंडलिंग के लिए अलग चाकू, कटिंग बोर्ड जैसे इक्वीपमेंट और बरतन का इस्तेमाल करें।

-रॉ और प्रिपेयर्ड फूड का संपर्क ना हो इसलिए उन्हें कंटेनर में रखें।

भोजन अच्छी तरह से पकाएं

-खाने को खासतौर पर मीट, पोल्ट्री, अंडा और सी फूड को अच्छे से पकाएं

-सूप और उबली हुई सब्जियों के रस (स्टयू) को 70 डिग्री सेल्यिस तक उबालें। मीट और पोल्ट्री बनाते वक्त ध्यान रखें कि जूस साफ हो, जूस पिंक नहीं होना चाहिए।

-पके हुए खाने को अच्छी तरीके से दुबारा गर्म करें।

फूड को सेफ टेंपरेचर पर रखें

-पके हुए भोजन को दो घंटे से ज्यादा देर तक रूम टेंपरेचर पर ना रखें।

-पके हुए भोजन और जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थ को अच्छी तरह से रेफ्रिजरेट (भ् डिग्री सेल्सियस से नीचे) करें।

-परोसने से पहले पके हुए भोजन को गर्म (म्0 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा) करें।

-खाद्य पदार्थो को बहुत अधिक समय के लिए फ्रिज में ना रखें।

-जमे हुए खाद्य पदार्थ को सामान्य टेंपरेचर पर ना पिघलाएं।

सेफ वाटर और रॉ मैटेरियल्स का इस्तेमाल करें

-सेफ वाटर का उपयोग करें या पानी को सेफ बनाने का उपाय करें।

-ताजे और पौष्टिक फूड सेलेक्ट करें।

-सुरक्षित प्रॉसेस्ड फूड सेलेक्ट करें।

-फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोएं।

-खाद्य पदार्थों का उपयोग एक्सपायरी डेट के बाद ना करें।