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JAMSHEDPUR: न सिर्फ कोल्हान यूनिवर्सिटी (केयू), बल्कि स्टेट की दूसरी यूनिवर्सिटीज को भी फिलहाल नए टीचर्स नहीं मिलने वाले। टीचर्स की कमी से अभी और जूझना पड़ सकता है। झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) द्वारा कुछ टेक्निकल मुद्दों पर सवाल उठाकर टीचर्स के अप्वॉइंटमेंट से मना कर दिए जाने के बाद यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में स्थिति और खराब होने वाली है। पहले से टीचर्स कम थे, जो थे उनमें से कई रिटायर हो चुके हैं। स्टूडेंट्स की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है पर सवाल यह है कि उन्हें पढ़ाए कौन।

और देर होती गई

झारखंड में 2008 के बाद यूनिवर्सिटीज के लिए टीचर्स का अप्वॉइंटमेंट नहीं हुआ। लास्ट इयर यूनिवर्सिटी द्वारा वैकेंसी भेजी गई थी, पर झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा उसे लौटा दिया गया और कहा गया कि यूजीसी के नए रेगुलेशन को फॉलो नहीं किया गया है। इसी वजह से पिछले साल 14 मार्च को टीचर्स के अप्वॉइंटमेंट का एडवर्टिजमेंट को कैंसिल कर दिया गया। बाद में कोल्हान यूनिवर्सिटी द्वारा यूजीसी के रेगुलेशन के एकॉर्डिग स्टैचूट में बदलाव कर वैकेंसी दोबारा भेजी गई तो जेपीएससी ने दूसरे सवाल उठा दिए और मामला फंस गया।

तो अब क्या होगा?

अब जो स्थिति बनी है उससे तो यही लगता है कि टीचर्स के अप्वॉइंटमेंट में और देरी होगी। जेपीएससी के नए चेयरमैन भी पहले के चेयरमैन की तरह ही आर्टिकल 320 को 321 तक एक्सटेंशन की बात पर अडिग रहे तो गवर्नमेंट को इंटरफेयर करना होगा और यूनिवर्सिटी एक्ट में बदलाव करना होगा। गवर्नमेंट को यह बदलाव विधानसभा से कराना होगा जो एक लंबा प्रोसेस होगा। दूसरा रास्ता यह है कि 1976 से 2008 तक जिस प्रोसेस को फॉलो करते हुए टीचर्स के अप्वॉइंटमेंट हुए हैं उसे ही फॉलो किया जाए और इससे प्रोसेस जल्दी स्टार्ट हो जाएगा। इसका हल निकालने के लिए जेपीएससी के चेयरमैन, एचआरडी डिपार्टमेंट के ऑफिशियल्स की मीटिंग गवर्नर के साथ कराने पर भी विचार किया जा रहा है ताकि आमने-सामने बैठकर सॉल्यूशन निकाला जा सके।

टीचर्स के 295 पोस्ट वैकेंट हैं

कोल्हान यूनिवर्सिटी में टीचर्स की काफी कमी है। यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट्स और कॉलेजेज में टीचर्स के शैंगशन्ड पोस्ट की संख्या 647 है। फिलहाल वर्किंग टीचर्स की संख्या है 352. यानी केयू में कुल 295 टीचर्स के पोस्ट वैकेंट हैं। वैकेंट पोस्ट में प्रोफेसर के 22, एसोसिएट प्रोफेसर के 44 और एसिस्टेंट प्रोफेसर के कुल 66 पोस्ट्स शामिल हैं। बाकी के 163 पोस्ट लेक्चरर के हैं। फिलहाल 352 वर्किंग टीचर्स में 209 ने ही पीएचडी किया है।

स्टूडेंट-टीचर का रेश्िायो 198:1

व‌र्ल्ड वाइड स्टूडेंट-टीचर रेशियो की बात करें तो यह 15:1 का है। कंट्री के यूनिवर्सिटीज में यह रेशियो 26:1 का है। इस मामले में केयू की स्थिति बहुत खराब है। केयू के कांस्टीट्यूएंट कॉलेजेज में इन्रॉल्ड स्टूडेंट्स की संख्या लगभग 70 हजार है। वर्किंग टीचर्स की संख्या 352 है। ऐसे में स्टूडेंट-टीचर का रेशियो 198:1 होता है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि केयू के स्टूडेंट्स को किस तरह का एजुकेशन प्रोवाइड कराया जाता है और क्वालिटी एजुकेशन सिर्फ कहने के लिए है।

क्यों मना किया?

झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन ने टीचर्स के अप्वॉइंटमेंट से क्यों मना किया। क्यों आयोग द्वारा कांस्टीट्यूशन के आर्टिकल 320 को 321 तक एक्सटेंड करने की बात कही गई। आखिर क्या है इंडियन कांस्टीट्यूशन के आर्टिकल 320 और 321 में। आइए जानते हैं

1. Article 320 in The Constitution Of India

Functions of Public Service Commissions

(1) It shall be the duty of the Union and the State Public Service Commission to conduct examinations for appointments to the services of the Union and the services of the State respectively।

2. Article 321 in The Constitution Of India

Power to extend functions of Public Service Commissions An Act made by Parliament or, as the case may be, the Legislature of a State may provide for the exercise of additional functions by the Union Public Service Commission or the State Public Service Commission as respects the services of the Union of the State and also as respects the services of any local authority or other body corporate constituted by law or of any public institution।

हमने तो लास्ट इयर ही यूजीसी के रेगुलेशन को फॉलो करते हुए टीचर्स के अप्वॉइंटमेंट के लिए प्रोसेस को कंप्लीट कर लिया था और फाइल एचआरडी को भेज दी गई थी। अब क्या हो रहा है वह डिटेल में नहीं बता सकता।

- डॉ आरपीपी सिंह, वीसी केयू

जेपीएससी के पिछले चेयरमैन ने टीचर्स के अप्वॉइंटमेंट को लेकर कई टेक्निकल सवाल उठाए थे जिस वजह से प्रोसेस बीच में ही रूक गया। वे इंडियन कांस्टीट्यूशन के आर्टिकल फ्ख्0 को फ्ख्क् तक एक्सटेंड करने की बात कर रहे थे जो सरकार का काम है। नए चेयरमैन आए हैं उनसे बात हो रही है। हम कोशिश कर रहे हैं कि सॉल्यूशन जल्द निकल जाए।

- डॉ डीएन ओझा, डायरेक्टर हायर एजुकेशन झारखंड

मैं इस मामले का डिटेल पता कर रहा हूं। मैं देख रहा हूं। बात भी हो रही है। देखते हैं कि इसका क्या सॉल्यूशन निकल सकता है।

- डीके श्रीवास्तव, चेयरमैन, जेपीएससी