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JAMSHEDPUR: लौहनगरी में वाटर लेवल काफी नीचे चला गया है। एक एक वजह शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग रूल्स का पालन नहीं करना है। शहर में नगर पालिका द्वारा भवन निर्माण नक्शे को स्वीकृति देते समय रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए आर्डर दिया जाता है, लेकिन जागरूकता की कमी और एक्स्ट्रा पैसे खर्च से बचने के लिए लोग टैंक नहीं बनवाते हैं। इसका खामियाजा आज लोगों के सामने आ रहा है। शहर में साकची और बिष्टुपुर इलाके में डीप बोरिंग से ही पानी निकल पा रहा है।

2017 में बना था रूल

झारखंड सरकार ने रेन वाटर हारवेस्टिंग निमयावली-2017 लागू किया है। इसके मुताबिक सोसाइटी, मकान, फ्लैट, होटल, स्कूल या किसी तरह के निर्माण करने पर वाटर स्टोर करने के लिए टैंक बनाना अनिवार्य है। जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमिटी (जेएनएसी), मानगो नोटिफाइड एरिया कमिटी (एमएनएसी) और जुगसलाई नगर पालिका में होने वाले निर्माण में टैंक बनाना अनिवार्य है। शहर में अगर वाटर हार्वेस्टिंग नियम की अवहेलना करता है। तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

14 अप्रैल तक का समय

जेएनएसी ने 70 प्रतिष्ठानों को वाटर हारवेस्टिंग नियम का पालन नहीं करने पर नोटिस जारी कर 14 अप्रैल तक समय दिया गया है। जेएनएसी कार्यालय में 2017 में 156 लोगों ने वाटर हारवेस्टिंग के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। जेएनएसी के स्पेशल ऑफिसर संजय पांडेय ने बताया कि नियम का पालन नहीं करने वालों से जुर्माना वसूल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रेन वाटर हारवेस्टिंग के प्रति लोगों को जागरूक भी किया जाएगा।

जागरूकता की कमी

शहर में वाटर हारवेस्टिंग के प्रति लोगों में जागरुकता का अभाव है। एमएनएसी के स्पेशल ऑफिसर राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि अभी भी लोगों में जागरूकता की कमी है। नये भवन निर्माण पर वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम अधिकारियों की देख-रेख में बनावाए जा रहे है। लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। वहीं टीम बनाकर जांच की जा रही है। जांच में दोषी पाए जाने वाले प्रतिष्ठानों से समन वसूल किया जाएगा।

सूखे पड़े हैं तालाब

पूर्वी सिंहभूम में नरेगा के माध्यम चाकुलिया, बहरागोड़ा, मुसाबनी, पटमदा, धालभूमगढ़ जैसे आदि ग्रामीण इलाकों में जल संचयन के लिए खोदे गए तालाब सूखे पड़े हैं। इन इलाकों में सैकड़ों तालाब अधूरे ही छोड़ दिए गए हैं, जिन्हें वाटर हारवेस्टिंग के लिए बनाया गया था। शहर के आस-पास तराई होने और झीलें बनाकर पानी को स्टोर किया जा रहा है।

शहर में वॉटर हार्वेस्टिंग एजेंसी नहीं

शहर में वाटर हारवेस्टिंग एजेंसी नहीं है। लोग टैंक तो बनाते हैं, लेकिन उसमें गंदे पानी को बहाते हैं, जिससे दूषित जल संचय होता है। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाते समय उसमें बालू, कोयले की परत बनानी होती है। जिससे गंदा पानी भी छन कर जमीन में संचयित होगा।

जेएनएसी ने 70 प्रतिष्ठानों को वाटर हारवेस्टिंग नियम का पालन नहीं करने पर नोटिस जारी किया है। उन्हें 14 अप्रैल तक समय दिया गया है। नियम का पालन नहीं करने वालों से जुर्माना वसूल किया जाएगा।

संजय पांडेय, स्पेशल ऑफिसर, जेएनएसी

शहर में वाटर हारवेस्टिंग के प्रति लोगों में जागरूकता का अभाव है। टीम बनाकर जांच की जा रही है। जांच में दोषी पाए जाने वाले प्रतिष्ठानों से फाइन वसूला जाएगा।

राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, स्पेशल ऑफिसर, एमएनएसी