-जमशेदपुर के निजी स्कूलों में अब तक शुरू नहीं हो पाई बस सेवा

-कुछ स्कूल दिखावे के लिए स्कूली वाहन रखकर कर रहे हैं खानापूर्ति

-स्कूली वैनों में बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है

-अभिभावक वैन चालकों को दे रहे हैं बढ़ा हुआ किराया

JAMSHEDPUR: जमशेदपुर के प्राइवेट स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा को लेकर तनिक भी फिक्र नहीं हैं। चाहे सीबीएसई हो या फिर आइसीएसई बोर्ड, दोनों की गाइडलाइंस में स्पष्ट निर्देश है कि कि स्कूलों को अपना वाहन रखना होगा। इसके आलोक में कुछेक स्कूल महज दिखावे के लिए स्कूली वाहन रखकर खानापूरी कर रहे हैं। यानी संपूर्ण रूप से सभी रूट पर स्कूल बस उपलब्ध नहीं है। बोर्ड की आंख में धूल झोंकने के लिए प्रतीकात्मक रूप से बस रखा गया है। ऐसे में स्कूल बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। आज भी स्कूली वैनों में बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है और अभिभावक वैन चालकों को बढ़ा हुआ किराया दे रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

-स्कूली वाहनों में एलपीजी गैस का उपयोग न किया जाए

-स्कूली वाहन ओवरलोड न हों

-स्कूली वाहनों का रंग पीला हो, ताकि दूर से पता चले कि ये स्कूली वाहन हैं।

झारखंड हाईकोर्ट की टिप्पणी

-स्कूली वाहनों में सुरक्षा मानकों का नहीं होता पालन

-बसों, ऑटो व वैन में ओवरलोडिंग बंद होनी चाहिए

-बिना परमिट के चल रहीं बसें, उनकी हालत भी ठीक नहीं

-ऐसे वाहन चालकों से सख्ती से निबटें डीटीओ और पुलिस

-ऑटो और वैन में क्षमता से अधिक बच्चों को न करायें सफर

-ऐसे मामलों में ऑटो व वैन चालकों पर हो कार्रवाई

-अभिभावकों को भी इस पर ध्यान देने को कहा

इन स्कूलों के पास हैं कुछ वाहन

आरवीएस अकादमी, शेन इंटरनेशनल, माउंट लिटररा, बेल्डीह चर्च, कान्वेंट, लोयोला, डीबीएमएस, केरला पब्लिक स्कूल, चिन्मया लेकिन इन स्कूलों में छात्र संख्या के हिसाब से बसों की संख्या पर्याप्त नहीं है।

ये है हाल

-जिला प्रशासन की स्कूली बस सेवा भी नहीं प्रारंभ हो पायी। इस संबंध में छह जुलाई ख्0क्ब् को जिला प्रशासन की ओर से बैठक आयोजित की गई थी।

-जब भी निजी स्कूली वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जाता है तो वाहन संचालक किराया बढ़ा देते हैं।

-अभियान के बाद दिखने लगती है पुरानी स्थिति, प्रशासन की लापरवाही से फेल होता है अभियान।

स्कूलों से संबंधित आंकड़े

-ख्भ् स्कूल हैं शहर में सीबीएसई के

-फ्0 स्कूल हैं आईसीएसई से संबंद्ध

-म्0 हजार बच्चे हैं इन स्कूलों में

-ख्0 हजार से ज्यादा ऑटो हैं शहर में

-फ्000 ऑटो चलते हैं स्कूलों में

-क्भ्00 स्कूली वैन का होता है परिचालन

समय बदल रहा है, स्कूलों को बस संचालन अपने हाथ में लेना पड़ेगा। यह अभिभावक व बच्चों दोनों के लिए जरूरी है। सोनारी में पांचवीं कक्षा की बच्ची के साथ वैन चालक द्वारा दुष्कर्म की घटना के बाद स्कूलों को जागना ही होगा।

-शरद चंद्रन, निदेशक, केरला पब्लिक स्कूल।

स्कूल की बात तो दूर है, प्रशासन और सरकार को भी बच्चों की सुरक्षा की चिंता नहीं है। जिला प्रशासन की बस सेवा भी कागज में सिमट कर रह गई है।

-डॉ उमेश कुमार, अध्यक्ष, जमशेदपुर अभिभावक संघ।

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-बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है, इस पर निजी स्कूल ध्यान नहीं दे रहे हैं। आरटीई में भी स्कूली बच्चों की सुरक्षा की बात की गई है। गाइडलाइन के बाद भी निजी स्कूल स्कूली बसों का संचालन नहीं कर रहे हैं।

-एनपी मुखर्जी, प्रभारी, आरटीई सेल, शिक्षा विभाग।