JAMSHEDPUR: डॉक्टरों की कमी के कारण टाटानगर रेलवे अस्पताल में आने वाले मरीज बेहाल हैं। कुछ डॉक्टर तो ऐसे हैं कि उन्हें कांट्रेक्ट में अस्पताल के ओपीडी में बुलाया जाता है। टाटानगर रेल अस्पताल में एक ही सर्जन डॉ। राजू मह,ा हैं जो टाटानगर व आद्रा डिवीजन के अस्पताल को देखते हैं। पिछले तीन दिनों से सर्जन डॉ। राजू महत्ता आद्रा डिवीजन के अस्पताल में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं लेकिन टाटानगर रेल अस्पताल में आने वाले मरीज डॉ। राजू महता के चैंबर में लगा ताला देखकर वापस हो जा रहे हैं। कई मरीज तो ऐसे ही कि वे घंटों डॉक्टर के आने का इंतजार करते हैं और बाद में पता चला है कि डॉक्टर तो आएंगे ही नहीं। टाटानगर रेलवे अस्पताल में मरीजों का आपरेशन भी कई महीनों से नहीं किया गया है। क्योंकि यहां आपरेशन करने के उचित सामान भी नहीं हैं।

आधा घंटा देर से पहुंचते हैं यहां डॉक्टर

टाटानगर रेल अस्पताल में ओपीडी में मरीज प्रतिदिन करीब 250 मरीज पहुंचते हैं। मरीज यहां सुबह आठ बजे से ही पहुंचना शुरू कर देते हैं। डॉक्टर के आने का समय सुबह 9 बजे है लेकिन डॉक्टर कभी 9.30 बजे तो कभी 9.45 बजे रेलवे अस्पताल पहुंचते हैं। डॉक्टरों के देर से आने से कई मरीज को अलग से परेशानी झेलनी पड़ती है। जबकि शाम को ओपीडी 4.30 बजे से 6.30 बजे तक खुलता है।

वजन नापने वाला यंत्र भी नहीं

टाटानगर रेलवे अस्पताल में मरीजों का वजन नापने वाला यंत्र कई महीनों से खराब है। शुक्रवार को एक मरीज अपनी बेटी का इलाज कराने आई और उसे वजन नापने की जरूरत थी लेकिन यंत्र के खराब होने के कारण वजन किए बिना दवा लिखवानी पड़ी।

पैथोलॉजी के कई जांचों का अभाव

टाटानगर रेलवे अस्पताल में अगर किसी मरीज को पैथोलाजी की जांच करानी है तो कई जांच ऐसे हैं कि यहां जांच होते ही नहीं है, जिसके लिए मरीज या तो प्राइवेट जांच कराते हैं या फिर किसी दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है।

इन विभागों में नहीं है डॉक्टर

गेस्ट्रोलॉजी, नेफरोलॉजी, न्यूरोलॉजी, फिजिएट्री, रेयूमेटोलॉजी, कार्डियोलॉजी, यूरोलॉजी, प्लास्टिक सर्जन, जीएल सर्जन, न्यूनेटॉलॉजी, ऑनकोसर्जरी, पलमोनालॉजी, न्यूरोसर्जरी, आई, ईएनटी, स्किन स्पेशलिस्ट, आर्थोपेडिक, पेडिट्रीशियन, रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी, माइक्रोबाइलॉजी, हेमाटॉलाजी, इनड्रोक्रीनोलॉजी व रेडियोथेरेपी के डॉक्टर मंडल के रेल अस्पतालों व हेल्थ यूनिट में उपलब्ध नहीं है।