-इंवायरमेंट के लिए खतरा है ये पॉलीथिन बैग्स

-पॉलीथिन पर बैन का नहीं कोई असर

-शहर में धड़ल्ले से हो रहा है पॉलीथिन का इस्तेमाल

JAMSHEDPUR : सब्जी खरीदना हो या घर का राशन, बस जेब में पैसा लिया और पहुंच गए दुकान पर। दुकानदार ने भी सामान तौला और पॉलीथिन में पैक कर सारा सामान दे दिया। पॉलीथिन ने घर से दुकान तक थैला लेकर जाने की झंझट से छुटकारा दे दिया है, लेकिन क्या आपको पता है की ये मामूली सी सुविधा कितनी बड़ी समस्या बन गई है। बढ़ता प्लास्टिक वेस्ट इंवायरमेंट के साथ-साथ इंसानों और दूसरे जीव-जंतुओं के लिए एक बड़ा खतरा है। इस खतरे को देखते हुए कई राज्यों में प्लास्टिक कैरी बैग्स के यूज पर बैन लगाया है। झारखंड में भी सितंबर ख्0क्फ् में ब्0 माइक्रोन से कम थिकनेस वाले प्लास्टिक कैरी बैग्स के यूज पर बैन है, पर इस बैन का कितना असर है इसका नजारा जमशेदपुर में दिखता है। शहर में हर तरह के प्लास्टिक कैरी बैग्स का धड़ल्ले से यूज होता है। इस पर ना तो किसी तरह की रोक है और ना ही जांच की व्यवस्था।

फ्भ्0 टन म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट जेनरेट होता है रोज

शहर की सड़कों पर रखे डस्टबीन में, वेस्ट डंपिंग साइट्स पर, नदी-नालों में जहां भी नजर डालें हर जगह रंग-बिरंगे पॉलीथिन बैग्स नजर आ जाएंगे। शहर में हर रोज जेनरेट होने वाले वेस्ट में एक बड़ा हिस्सा पॉलीथिन का होता है। शहर में हर रोज करीब फ्भ्0 टन म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट जेनरेट होता है। एक अनुमान के मुताबिक इस वेस्ट में ख्0 टन से ज्यादा प्लास्टिक होता है। जगह-जगह बिखरा ये प्लास्टिक वेस्ट शहर की सुंदरता को तो बिगाड़ता ही है, इंवायरमेंट और हेल्थ के लिए भी एक बड़ा खतरा है।

ये कैसा बैन?

स्टेट में सितंबर ख्0क्फ् में ब्0 माइक्रोन से कम थिकनेस वाले प्लास्टिक कैरी बैग्स के इस्तेमाल पर बैन है, लेकिन इस बैन का असर शहर में नहीं दिखता है। किराना स्टोर हो या सब्जी-फल के दुकान हर जगह पॉलीथिन बैग्स का इस्तेमाल होता है। कोई पॉलीथिन ब्0 माइक्रोन का है या नहीं इसकी जांच के लिए भी म्यूनिसिपल अथॉरिटीज के पास कोई व्यवस्था नहीं है। मानगो नोटिफाईड एरिया कमिटी (एमएनएसी) के एक कर्मचारी ने बताया कि अगर वो पॉलीथिन की जांच करना भी चाहें, तो उनके पास इसकी कोई व्यवस्था नहीं है।

कई स्टेट्स में बैन है प्लास्टिक बैग्स का यूज

दिसंबर ख्0क्ब् में मिनिस्ट्री ऑफ इंवायरमेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के मिनिस्टर ऑफ स्टेट प्रकाश जावड़ेकर ने सिक्किम, नागालैंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, अंडमान एंड निकोबार आईलैंड, लक्षद्वीप और चंडीगढ़ में प्लास्टिक कैरी बैग्स के यूज पर बैन होने की बात कही थी। साथ ही उन्होंने कहा कि मिनिस्ट्री द्वारा प्लास्टिक कैरी बैग्स के मैन्युफैक्चरिंग, सेल और यूज पर प्लास्टिक वेस्ट (मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग) हैंडलिंग रूल्स, ख्0क्क् के तहत रोक लगाई गई है। साथ ही उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट सहित म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बो‌र्ड्स और पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटीज से अर्बन लोकल बॉडीज को टाइम बाउंड एक्शन प्लान तैयार करने के लिए डायरेक्शन इश्यू किए जाने का रिक्वेस्ट करने की बात भी कही।

फोर योर इन्फॉर्मेशन

प्लास्टिक वेस्ट (मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग) रूल्स, ख्0क्क् के अनुसार प्लास्टिक बैग्स के मैन्यूफैक्चरिंग, सेल, यूज और डिस्पोजल के संबंध में बनाए गए नियम

-कोई भी व्यक्ति ब्0 माइक्रोन थिकनेस से कम के प्लास्टिक बैग्स की मैन्युफैक्चरिंग, सेल या यूज नहीं कर सकता है।

-ब्0 माइक्रोन से ज्यादा के प्लास्टिक कैरी बैग्स के मैन्यूफैक्चरर स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड या पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी से रजिस्ट्रेशन लेना है।

-कैरी बैग्स पर मैन्युफैक्चरर का नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर और थिकनेस प्रिंटेड होना चाहिए

-रिटेलर्स को प्रत्येक प्लास्टिक बैग के लिए संबंधित म्यूनिसिपल अथॉरिटी द्वारा निर्धारित चार्ज कंज्यूमर से लेना है

-म्यूनिसिपल अथॉरिटीज द्वारा प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम अपनाया जाना है जिसके तहत प्लास्टिक वेस्ट के कलेक्शन, स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन, प्रॉसेससिंग और डिस्पोजल शामिल है

-प्लास्टिक वेस्ट कलेक्शन सेंटर स्थापित करने के लिए म्यूसिपिल अथॉरिटी प्लास्टिक कैरी बैग्स मैन्यूफैक्चरर से एक्सटेंडेंड प्रोड्यूसर्स रिस्पॉंसिबिलिटी के तहत कलेक्शन सेंटर स्थापित करने को कह सकती है

डू यू नो

प्लास्टिक बैग्स के कलेक्शन और डिस्पोजल की व्यवस्था सही नहीं हो तो इंवायरमेंटल इंपैक्ट्स हो सकते हैं

<द्ग>-ड्रेनेज सिस्टम चोक होता है

-इधर-उधर बिखरे प्लास्टिक बैग्स को जानवर खाते हैं, जिससे उनकी मौत तक होने का खतरा रहता है।

-प्लास्टिक बैग ग्राउंड वाटर रिचार्ज को भी प्रभावित करते हैं।

-री-साइकल्ड प्लास्टिक बैग और कंटेनर पैकेज्ड फूड को कंटैमिनेट करते हैं।

-लैंडफिल साइट्स पर जमा प्लास्टिक वेस्ट मेटल्स और एडिटिव्स के मिट्टी और ग्राउंड वाटर में लिचिंग की वजह बनता है।

प्वाइंट टू बी नोटेड

प्लास्टिक वेस्ट के इंवायरमेंटल इंपैक्ट को लेकर लंबे समय से चिंता व्यक्त की जाती रही है। गवर्नमेंट द्वारा प्लास्टिक वेस्ट के इंवायरमेंटल इंपैक्ट का पता लगाने के लिए कई कमिटीज और टास्क फोर्स बनाये जाते रहे हैं

-प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के लिए स्ट्रेटजी और एक्शन प्लान बनाने के लिए क्997 में दिलीप विश्वास की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स गठन किया गया था।

- ख्00ख् में जस्टिस रंगनाथ मिश्रा कमिटी ने प्लास्टिक वेस्ट के इंवायरमेंटल हजा‌र्ड्स की जांच की।

- दिल्ली में प्लास्टिक वेस्ट से होने वाले इंवायरमेंटल हजा‌र्ड्स का पता लगाने के लिए ख्007 में आरसी चोपड़ा कमिटी बनाई गई थी।

- प्लास्टिक वेस्ट सहित देश में वेस्ट मैनेजमेंट के लिए रोड मैप तैयार करने के लिए ख्0क्0 में एक एक्सपर्ट कमिटी बनाई गई थी।

- ख्008-09 में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने लखनऊ के डंपसाइट्स में प्लास्टिक वेस्ट डिस्पोजल से मिट्टी और पानी के क्वालिटी पर पड़ने वाले असर का पता लगाने के लिए स्टडी कंडक्ट की।