-हर पुलिसकर्मी से लिए गए हैं 700-700 रुपए

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JAMSHEDPUR: वैट क्लीयरेंस के चक्कर में झारखंड पुलिस का कैंटीन लटका हुआ है। राज्य के कुछ जिलों में जवानों के लिए कैंटीन शुरू हुआ था लेकिन वैट के मामले को लेकर फिर फिर से बंद हो गए हैं। पूर्वी सिंहभूम जिले में फ्भ्00 पुलिस कर्मियों से कैंटीन कार्ड के नाम पर 700 रुपए लिए गए थे। फरवरी से कैंटीन चालू करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। पुलिस लाइन में कैंटीन खोला जाना था। लेकिन अब तक शुरू नहीं हो सका है।

फ्भ्00 पुलिसकर्मियों को मिलता लाभ

कैंटीन शुरू होने से ईस्ट सिंहभूम के फ्भ्00 पुलिसकर्मियों को लाभ मिलता। इसमें कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक शामिल थे। ईस्ट सिंहभूम में करीब ख्700 कांस्टेबल हैं। कैंटीन शुरू होने से रियायती कीमत पर जवानों को कॉस्मेटिक्स, ग्रॉसरी सहित रोजमर्रा के जरूरत के सामान उपलब्ध होते। कैंटीन के लिए पुलिसकर्मियों का फॉर्म फरवरी में ही भरा जा चुका है। प्रति फॉर्म 700 रुपए भी लिए गए हैं, लेकिन जवानों को कैंटीन का कार्ड नहीं मिला है।

शुरआत के बाद पड़ा ठप

कैंटीन गढ़वा और लातेहार में शुरू हो गया था। लेकिन पहले खेप और दूसरे खेप तक जवानों को भरपूर सामान मिले। लेकिन इसके बाद से कैंटीन ठप पड़ा हुआ है। वहां सामानों की आपूर्ति नहीं हो रही है।

ब्000 रुपए का सामान खरीदने की थी योजना

कैंटीन फैसिलिटी के तहत एक जवान ब्000 रुपए का सामान प्रतिमाह खरीद सकता था। मार्केट प्राइस से काफी कम कीमत पर कैंटीन में ये सामान उपलब्ध होते। लेकिन अभी तक ईस्ट सिंहभूम के जवानों को कैंटीन की सुविधा नहीं मिल पाई है।

जिला पुलिस के कैंटीन को मास्टर कैंटीन से सामान मिलना था। गृह मंत्रालय के अंतर्गत पारा मिलिट्री फोर्सेज के कैंटीन से सामान उपलब्ध कराने की योजना थी, लेकिन सरकार वैट निर्धारित नहीं कर सकी और मामला अधर में लटक गया।

वैट निर्धारण को लेकर कैंटीन शुरू नहीं हो सका है। उच्च स्तरीय बैठक में जल्दी ही इस पर निर्णय होगा।

-एवी होमकर, एसएसपी, ईस्ट सिंहभूम

जवानों को कम कीमत पर सामान उपलब्ध कराने की योजना थी, लेकिन तकनीकी कारणों से शुरू नहीं हुआ है। जल्दी ही संघ के नेता पुलिस के बड़े अधिकारियों से मिलकर कैंटीन शुरू कराने की मांग रखेंगे।

-अवधेश पांडेय, कोषाध्यक्ष, पुलिस मेंस एसोसिएशन, ईस्ट सिंहभूम

झारखंड पुलिस के जवानों के लिए क्8 जिलों में कैंटीन सेवा शुरू करनी थी। कुछ जगहों पर शुरुआत भी हुई, लेकिन फिर बंद हो गई। जगुआर और जैप के जवानों को यह फैसिलिटी मिल रही है।

-अखिलेश्वर पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष, पुलिस मेंस एसोसिएशन